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जान्युआरी - २०१४
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नथी, कारण के सिद्ध x a / A ओ सर्वजीवथी नानी रकम छे. पुद्गलास्तिकायमां तो सर्वजीवना वर्ग करतां पण अनन्तानन्तगुणा पुद्गलो छे. अटले सर्वजीवोथी पण आखा पुद्गलास्तिकायना ओक अनन्तमा भाग जेटला ज पुद्गलो आज सुधीमां गृहीत थया छे तो अक जीवथी सर्वपुद्गलो गृहीत थईने छोडवानी वात ज क्यों रहे? अटले आमां अन्य ज कोई विशेष प्रकारनी विवक्षा जाणवी
जोइओ."
पंचमकर्मग्रन्थ-टिप्पण, पृ. ४१०-११ सं. : रम्यरेणु प्रकाशक : जूना डीसा श्वे. मू. संघ, वि. २०५८
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आ विचारणामां केटलाक प्रश्नो अनुत्तरित रहे छे :
१. ते टिप्पनककार 'अतीतकाल = सिद्धना जीव x असङ्ख्य समय' अर्बु समीकरण आपे छे. हवे, सिद्धना जीवो सकल जीवराशिना अनन्तमा भाग जेटला छे. तेथी तेमनी राशिने असख्य समय साथे गुणीजे तो जवाबमां आवनारी रकम जीवराशिनो नानकडो अंश ज हशे. बीजी तरफ प्रत्येक संसारी जीव अनन्तानन्त कर्मपुद्गलोथी वीटळायेलो छे. तेथी फक्त कार्मणवर्गणाना पुद्गलोने ध्यानमां लईओ तो पण ते सकल-जीवराशिथी अनन्तगुण छे, तो स्वाभाविक रीते ज पुद्गलास्तिकाय, जीवास्तिकाय करतां अनन्तगुण थशे. तेथी ते टिप्पनककारे दर्शावेली गणतरी मुजब आवता अतीतकालना समयो, तेमनाथी अनन्तगुण जीवराशिथी पण अनन्तगुण पुदगलोना अनन्तमा भाग जेटला ज रहे छे. समीकरण आम बनशे - अतीतकाल = पुद्गलास्तिकाय ’ अनन्त
हवे, आनी सामे पन्नवणाजी - पद ३ - सूत्र ७९ अने तेनी मलयगिरीय टीका तेमज जीवसमास - गाथा २८२ अने तेनी मलधारीय टीका जुओ. आ बन्ने ठेकाणे समयोने पुद्गलो करतां अनन्तगुण जणाव्या छे. अलबत्त, त्यां सूत्रमा अतीत-अनागत बधा समयोने गणतरीमां लीधा छे. पण उपरोक्त टीकाओ जोईशुं तो स्पष्ट जणाशे के ओकलो अतीतकाल के अकलो अनागतकाल पण पुद्गलास्तिकायथी अनन्तगुण ज छे. केमके पुद्गलास्तिकायना फक्त ओक परमाणुओ पण अन्य अनन्त पुद्गलो के स्कन्धो साथे संयोग अनुभवेला छे. चोक्कस काळे चोक्कस क्षेत्रमा अवगाहन - ओ रीते क्षेत्र अने कालनी
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