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________________ जान्युआरी - २०१४ १४१ घालवो पडे तो वरस १० नो आगार. एणी रीतें समकित सहित बार व्रत तथा पन्नर कर्मादांन तथा पांच थावर माड्या छे ते जावजीव सूधी पालवा. एणी रीते समकित सहित व्रत अंगीकार कीधा छे, ते पूज्य माहापुरुष आत्मार्थी, क्रीयापात्र, धरमयात्र, गुरुगुणवंत, गुणना भण्डार, भद्रीक प्रणामी, एहवी अनेक उपमालायक ऋषि श्री७ कर्मचंदजी स्वामीनी समीपें वरत अंगीकार कीधा छे. तेमां बोल कोए काढवो घालवो पड़े तो वरस १०नो आगार छे. एवइ मध्ये कांनो, मातर, मीडी, पद ओछो, अदकों लखाणों होए तो मिछामी दुकडो. एवइ उपरली वइ प्रमाणे लखी छे, ते सत्य छे. लखीतंग त्रवाडी भवांनजी लीलाधराणी. लिखावितं बाइ रामकुवरबाइ साहा काराभार नानचंदनी वहुनी वइ छे. श्रीरस्तु ॥ गुरु माहाराज गुणवंत, गुणना भण्डार, आतमा अथि, किरीयापात्र, धर्मजात्र, छती रीधीनां तागी, माहावैरागी, चोथा आराना नमूनो, चंद्रमानी पेरे सीतलकारी, सूरजनी परे उद्योतनां करणहार, समुद्रनीय गम्भीर, कामधेन गाइ समांन, कल्पवृक्ष समांन, रत्न चंतामणी समांन, पारसमणी समांन, बहुसूत्री, सूत्रसीधातना जांण जैनमारगनां दीपावणहार, चारतीरथनां सुखदायक, छकाईनां पीयर, छकाईनी रक्षाना करणहार, पांच सुमते सुमता, त्रण गुपते गुप्ता, सरल सभावीक, सरव जीवनां हेतु, मिथ्यात रूप अंधकारनां मटावणहार, समकीतरूप बीज बोधनां दात, बालब्रह्मचारी महाराज श्री७ नानचंदजी स्वामी गुरु छे. समकीते पासेंथी पीधु छे. लखीतं - अमरसी जैचंद श्रीगोउलवालो. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520564
Book TitleAnusandhan 2014 03 SrNo 63
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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