________________
ओगस्ट - २०१३
१३. दीठी मेहे अक नारने, चोथी सहस्र सहंत,
पग भुज विना पेट छे, ते कहो विमासी कंथ. १४. सोल नार साथे रमे, बनो राजकुमार,
मोई जीवाडे प्रेमदा, ते स्वामी करो विचार १५. ओक नारे में दीठडी, मुख विना सेहेस्र ज दंत
पोयणी जेसी पातली, ते कहो विमासी कंथ. १६. पाटण पहोथी परवरा ------ ------ ----- ------ --------
प्रो. डॉ. भूपेन्द्र बालकृष्ण त्रिवेदी ९नो स्तन, ११नो घंटी, १२नो सगडी के अंगारा, १५नो करवत अवो अर्थ होवानी संभावना दर्शावे छे. आप सहु विदग्धोने शुं लागे छे ? आ बधी समस्याओना उकेल मेळववा माटे आ उपक्रम कौ छे. तज्ज्ञ जनो प्रकाश पाडे तेवी अपेक्षा.
ना
C/o. १, पद्मावती बंगलोझ
थलतेज अमदावाद-५१
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org