________________
ओगस्ट - २०१३
१२५
रक्षण प्राप्त थशे. L.D.ना संगृहीत प्राचीन साहित्य तरफ सौनुं ध्यान आकर्षित थशे. आम, एक प्रतने 'वैश्विक वारसो' जाहेर करवाथी अनेक कार्य थशे. आ बधुं, एकान्त अहोभावथी व्याप्त कोई पण हैयाने, आनन्द आपनारुं ज छे.
जो के सिक्कानी बीजी बाजु पण छे. केटलाक सवालो पण, आ मुद्दे, जागे छे. जेमके, आ प्रत वैश्विक वारसा माटे युनेस्को पर मोकलवा जेवी छे, ते कोणे अने केवी रीते-कया मापदण्डथी नक्की कर्यु हशे ? एल.डी.मां तो आ प्रतथीये वधु पुराणी अने वधु महत्त्वपूर्ण अनेक प्रतो तथा अन्य सामग्री छे, तो पण आ ज प्रत उपर पसंदगी केम ? आ अथवा आवी प्रत/सामग्री जोवा माटे जो रजूआत थाय तो तेमां भाग्ये ज सफलता मळती होय छे; ट्रस्ट बोर्ड, ठराव, स्ट्रोंगरूम, चावीओ इत्यादि अनेक कारणोनी आड धरवामां आवती होय छे; अने हवे, आ प्रतने वैश्विक वारसो जाहेर करवामां आवतां, ते जाहेर दर्शनार्थे प्रदर्शित करवामां आवनार छे; सम्भवतः कायमी धोरणे. तो आनी पाछळ कोनो आदेश के मार्गदर्शन के नियम काम करता हशे ? आजे आ एक प्रतने वैश्विक वारसो बनावी, आवता समयमां क्रमशः बीजी प्रतोने पण आज रीते युनेस्कोमा लई जई वैश्विक सम्पत्ति जाहेर कराववानो इरादो हशे ? आ प्रत पुण्यविजयजीनी हती, ते तेमणे L.D. ना ज्ञानभण्डारमा मूकी, हवे तेना मालिक ज युनेस्को लई जवानुं नक्की करी शके. आपणा अन्य अनेक भण्डारोमां आ प्रकारनी अनेक पोथीओ वगेरे छे: आ एक अनभव पछी, तेना गौरव तेमज तेनाथी प्राप्त थता फायदा विषे जाण्या पछी, ते ते भण्डारोना वहीवटदारो के मालिकोने, पोताना भण्डारनी ते ते सामग्रीने, हेरिटेजमां लई जवानी अपेक्षा नहि जागे ? एवी अपेक्षा राखवामां तथा तेम करवामां गौरव वधे, अनुदान-संरक्षण मळे, बधा अनुमोदना करे - एम त्रिविध लाभ थता होय तो तेम थवानुं ज. छेल्ले, आ रीते प्रतने हेरिटेजमां लई जवानो फायदो शो ?
आ अने आवा अगणित सवालो जागे छे, जेना अधिकृत तेमज समुचित जवाब मळवानी आशा - ते विफल रहेवानी खातरी होवा छतां - राखवी गमे छे.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org