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अनुसन्धान-६२
नरसिंह महेता, ओ बन्नेना नामथी ट्रस्टो चाले छे, अने साहित्यना क्षेत्रमा अपूर्व योगदान कर्यु होय अवा सर्जको-संशोधकोने आ ट्रस्टो द्वारा नवाजवामां आवे छे. बेउ ट्रस्ट साधुजनोना शुभ संकल्पोनुं परिणाम छे. आजे बेउ ट्रस्टना प्रतिनिधिओ हाजर छे. अमरेलीना ज कविश्री हर्षदभाई चंदाराणा नरसिंह महेता स्मारक निधिना मेनेजिंग ट्रस्टी छे, वळी हाथीनी अंबाडीओ 'सिद्धहैमग्रन्थ' पछी अमरेलीमां कविश्री रमेश पारेखने नरसिंह अवोर्ड मळी गयेलो. 'हेमचन्द्राचार्य चन्द्रक' आजे अक अमरेलीवासी गुर्जर सरस्वती आराधकने अर्पण थवा जई रह्यो छे. आजे जेमनुं बहुमान थशे संस्कृत भाषा-साहित्यना विद्वान महानुभाव
श्री वसन्तभाई परीखसाहेब अनेक भाषाओ जाणे छे, शब्दना अनुशासनमां रहेनारा छे, शब्दविवेकने पूरेपूरो पिछाणनारा छे.
पूज्य आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी महाराजसाहेब द्वारा साहित्य अने संशोधनना क्षेत्रमा अक अति महत्त्व- कार्य ए थई रह्यं छे के, गुजराती भाषासाहित्यना संशोधन/अध्ययन/अध्यापन साथे जोडायेला नवी पेढीना सर्जकोसंशोधकोने आपणी प्राचीन जैन-जैनेतर साहित्यनी दिशामा दोरीने रस लेता करवा. गोधरा, महुवा, सुरत, तगडी अने अमदावादमां आ पहेला योजायेला परिसंवादो तथा साहित्यगोष्ठिओ अने पूज्यश्री शीलचन्द्रजी महाराजसाहेबना विद्यातपथी पुष्ट थता जता 'अनुसन्धान' सामयिक द्वारा केटलीये निष्क्रिय कलमोने फरी चेतनवंती बनाववानुं कार्य थतुं रडुं छे. संशोधनक्षेत्रनी अत्यारनी परिस्थिति अने विद्वानोनी कारमी अछतना समये आजना संसारत्यागी युवान साधु-साध्वीजीओ द्वारा सम्पूर्ण प्रमाणभूत अने वैज्ञानिक ढंगथी थई रहेला संशोधन/अध्ययन/सम्पादन अने प्रकाशनो जोतां आशास्पद अने उज्ज्वळ भविष्यनी अंधाणी जेम महाराजसाहेबने देखाणी छे अनी प्रतीति समग्र विद्याजगतने थवामां हवे झाझी वार नथी.'
आटली भूमिका पछी श्री वसन्तभाई परीखनो परिचय आपता डो. हसमुख व्यासे जणाव्यु के- 'वसन्तभाई अटले सहज, सरळ, निर्दम्भ, निस्पृह छतां जीवता जागता ज्ञानकोश. आधुनिकता-अनुआधुनिकताना पूर्व-पश्चिमना तमाम साहित्यनो, आपणा संस्कृतना शिष्ट-प्रशिष्ट साहित्यनो परिचय होवा छतां लोकधर्मी साहित्यकार तरीके गुजरातना परम्परित साहित्य, संस्कार, कलाओ,
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