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________________ 44 भगवान् (पुष्पदन्त)नी स्तुति थई छे ते पण सूचक छ : दीवना जिनालयना मुख्य भगवान् सुविधिनाथ आजे तो छे, ते वखते पण हता, तेम आथी पुरवार थाय छे. प्रसादपत्र साथे जोडेल १० श्लोकनो लघुपत्र, सौभाग्यविजयजीना मित्र अने तेमना प्रत्ये प्रीति धरावनार मुनिजने लखेल पत्र छे, जेमां लखनार, नाम नथी. हल्लारदेश (हालार), नवीननगर (जामनगर) तथा सौभाग्यविजयजीनुं नाम - आटलां तथ्य तेमांथी मळे छे. आ पत्रना हांसियामां 'सं. १७१५ वर्षे' एवी नोंध छे, ते परथी १७१४१५मां गच्छपति दीव रह्यानो तथा ते वर्षे आ पत्र लखायो होवानो ख्याल आवे छे. बीजो (क्र. ५३) प्रसादपत्र जीर्णदुर्ग-जूनागढथी लखायो छे. हांसियामां 'सं. १७१७ वर्षे' ए मतलबनी नोंध छे, तेथी ते वर्षे विजयप्रभसूरि त्यां रह्या होवानो निश्चय थाय छे. मङ्गलाचरणमां श्रीनेमिनाथने स्तव्या छे ते पण ते वातने पुष्टि आपे छे. आ पत्र पण कोना उपर लखायो छे ते अंगे कशो निर्देश पत्रमां थयो नथी, परन्तु गच्छपतिना शब्दोमां व्यक्त थतुं बहुमान जोतां, आ पत्र पण सौभाग्यविजयजी पर के तेवा कोई स्थविर मुनिजन पर ज लखायो होवानुं मानी शकाय. अहीं स्वाध्याय तथा वाचनामां पञ्चमाङ्ग भगवतीसूत्र तथा सटीक जीवाभिगमसूत्रनां नाम छे, अने धर्मकृत्योनी यादी पूर्ववत् ज आपेल छे. पत्र अधूरो छे. छेल्ले, जेमना पर आ प्रसादपत्र लखायो छे तेमना तरफथी मळेल पत्रनी वात चाले छे जे अपूर्ण ज रही गई छे. आ बन्ने पत्रनी नकल ला. द. विद्यामन्दिरथी प्राप्त थयेल छे. त्रीजो पत्र (क्र. ५४) मेदिनीपुर (-मेडता)थी लखायो छे. मङ्गलाचरणमां पार्श्वनाथनी स्तुति थई छे तेथी ते गाममां पार्श्वनाथनुं देरासर होवू जोईए एवू, पूर्वना २ प्रसादपत्रोना आधारे, कही शकाय. आमां पण बहुमाननो भाव तो व्यक्त थतो जणाय ज छे, तेथी आ पत्र पण कोई वृद्ध पुरुष पर, पत्रोत्तररूपे, लखायो होय एवं अनुमान थई शके तेम छे, आ पत्रमा भगवतीसूत्रनो स्वाध्याय तथा प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्तिनी वाचनानी वात आवे छे. स्वाध्यायनी आवी वातो विजयप्रभसूरि माटेना केटलाक रूढ ख्यालो पर फेरविचार करवा प्रेरे तेवी लागे छे. आमां पोतानी साथेना साधुओनां नामो पण छे ते विशेषता छे. आ नामोमां विजय Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520562
Book TitleAnusandhan 2013 07 SrNo 61
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages300
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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