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________________ नामो छे, अने ९५मा पद्यमां ते दरेकने 'अनुनति - अनुवन्दना' जणावी छे. बधां पत्रोमां 'नत्यनुनती' एटले के वन्दना - अनुवन्दना एम बे शब्द होय छे, अहीं एक ज प्रयोजायो छे. केम ? कारण के पत्र विजयसेनसूरिए लख्यो छे, अने तेओ 'वन्दना' कहे तेवी कोई बीजी व्यक्ति छे ज नहि; बधा तेमनाथी लघु ज छे, तेथी तेओ 'अनुनति' ज लखे ! आम, आ उपरथी पण आ पत्र सेनसूरिनो होवानुं अनुमान सुदृढ थाय छे. आ पत्र सूरतना ने. वि.क. ज्ञानमन्दिरथी मळेल छे. 37 ( ३८ ) आ पत्र १०४ श्लोकप्रमाण छे, पण तेना प्रथम १-७३ श्लोकोवाळां पानां अप्राप्त होई ते त्रुटित ज मळ्यो छे. पत्र कोना उपर लखायो छे ते अंगे स्पष्ट कोई नामोल्लेख तो नथी, परन्तु ते विजयसेनसूरि उपर लखायानुं वधु सम्भवित जणायुं छे. लेखकनुं नाम पण नथी, परन्तु साथी साधुओनां (हीरविमल वगेरे) नाम जोतां लेखक स्वयं पण विमल शाखाना होय ते वधु सम्भवित छे. उपलब्ध पत्रांशमां ७५-८७ गुरुवर्णननां पद्यो छे. पछी विज्ञप्ति, तत्रस्थ मुनिगणनो उल्लेख, स्वसहवर्तीओनो उल्लेख अने आसो शुदि ४ना पत्र लख्यानी नोंध साथै समाप्ति थई छे. आ पत्र पण ला. द. विद्यामन्दिरनो छे अने तेनी जे. मुनि श्री धुरन्धरविजयजी तरफथी मळेल छे. ( ३९-४० ) आ बे पत्रो पं. लावण्यविजयजीए अहिमन्नगर ( अहमदनगर हशे ? ) थी गच्छपति श्री विजयदेवसूरि उपर लखेला छे. पहेलो पत्र त्रुटित तेम अपूर्ण छे, अने बीजो पत्र अपूर्ण छे. पत्र १, २६मा पद्य सुधी त्रुटित छे, २६ना पश्चार्धथी ३६ सुधी गुरु बिराजे छे ते नगरनुं वर्णन छे बन्ने पत्रो एक ज नगरनुं वर्णन करतां होवाथी १ मां ३६मुं अने २मां २० मुं पद्य महदंशे समान लागे छे. ३७मां अहिमन्नगरनो उल्लेख, ३८मां लेखकनुं नाम तथा विज्ञप्ति-संकेत, पछीनां पद्योमां ग्रन्थवांचन तथा पर्वकृत्योनुं निवेदन, ४९-६८ मां गुरुवर्णन पछी पत्र माटे विज्ञप्ति, वन्दननिवेदन, तत्रस्थित विजयसिंहसूरि, वा. चारित्रविजयजी, बा. लावण्यविजयजीना नामोल्लेख आम चालेलो पत्र अहीं अधूरो ज रहे छे. पत्र तो आखो होय, मळ्यो छे अपूर्ण. अहीं वा. चारित्रविजयजीने 'धन्य अणगारतुल्य' (७३) वर्णव्या छे, ते परथी तेओ उग्र तपस्वी होय तेम मानवुं जोईए. Jain Educationa International - For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520562
Book TitleAnusandhan 2013 07 SrNo 61
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages300
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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