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________________ जान्युआरी - २०१३ २०३ मेळवे छे ते जाणवा-समजवा माटे आवा ग्रन्थो स्वस्थ चित्ते अने आग्रहपूर्वग्रहथी वेगळा रहीने वांचवा पड़े. असंख्य ग्रन्थो, ताम्रपत्रो, शिलालेखो, प्रतिमालेखो, चरित्र-प्रबन्ध-स्तोत्र, भास-रास-गीत जेवी सामग्रीमां विखरायेली पड़ेली विगतो, विनियोजन करीने ढांकी साहेब चिरविस्मृत अतीतनो आकार उद्घाटित करे छे. तीव्र स्मृति अने वेधक मेधा विना आ क्षेत्रे कशुं मौलिक प्रदान थई शके नहि. आ लेखोमांथी पसार थतां वाचकने एमनी मेधा तथा स्मृतिनां अद्भुत दर्शन पाने पाने थशे. श्री नेमिनाथ अने श्रीकृष्ण, सौराष्ट्रमां निर्ग्रन्थ विहार, गिरनारनो प्राचीन इतिहास वगेरे मुद्दानी चर्चा करतो लेख विशेष ध्यानार्ह छे. धरणेन्द्र अने श्रीपार्श्वनाथ विषयक लेख अतीतनी केटलीक वातो आपणी समक्ष मके छे जे आपणने विचार करतां करी दे छे. जैन स्तोत्रसाहित्य तथा आगमसाहित्यना अध्ययन पर आधारित जिनप्रतिमानी ऐतिहासिकता विशेनो एक पठनीय अने अभ्यासखचित लेख मूर्तिने माननार अने नहि माननार- बन्ने पक्षोए वांचवाविचारवा जेवो छे. दक्षिण भारतनां जैन मन्दिरो, गुफामन्दिरोना स्थापत्य सम्बन्धी केटलाक लेखो पण अभ्यासीओने माटे रसप्रद बने एवा छे. साम्प्रदायिक झुकाव इतिहासलेखकनी गरिमाने बाधित करे; अधूरंउपलकियुं अन्वेषण लेखकना विधाननी अधिकृतताने हानि करे. ढांकी साहेबना साम्प्रदायिकतामुक्त अभिगम अने गहन अध्ययन आ ग्रन्थना प्रत्येक लेखमां प्रतिबिम्बित थाय छे. तेमनां केटलांक विधानो परम्परागत मान्यतानी सामे प्रश्नार्थचिह्न खडुं करे छे, त्यारे वाचकने प्रतीति थाय के लेखक कशुं गृहीत लइने चालता नथी. ___ सम्पूर्ण पुस्तक ग्लेजपेपर पर मुद्रित छे. मूर्तिओ, मन्दिरो अने शिल्पोनी पुष्कळ छबीओ ग्रन्थनुं गौरव वधारे छे. मुद्रण सुन्दर छे. संस्कृत-प्राकृतअपभ्रंश भाषानां उद्धरणोमां प्रूफवाचननी भूलो रही जवा पामी छे, ए खटके खरं. परन्तु लेखक पोते खराब स्वास्थ्यमांथी पसार थई रह्या होई जाते प्रूफ तपासी शक्या नथी ए कारणे ज रहेवा पामी छे ए स्पष्ट छे. आवो पठनीय-दर्शनीय-संग्रहणीय ग्रन्थ प्रकाशित करवा बदल सम्बोधि संस्थान (अमदावाद) ने पण धन्यवाद. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520561
Book TitleAnusandhan 2013 03 SrNo 60
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages244
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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