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________________ जान्युआरी - २०१३ १८९ महाप्रज्ञापना ८. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ८. प्रज्ञापना ९. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति १०. चन्द्रप्रज्ञप्ति १०. प्रमादाप्रमाद ११. क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्ति ११. नन्दी १२. महल्लिकाविमानप्रविभक्ति १२. अनुयोगद्वार १३. अंगचूलिका १३. देवेन्द्रस्तव १४. वग्गचूलिका १४. तन्दुलवैचारिक १५. विवाहचूलिका १५. चन्द्रवेध्यक १६. अरुणोपपात १६. सूर्यप्रज्ञप्ति १७. वरुणोपपात १७. पौरुषीमण्डल १८. गरुडोपपात १८. मण्डलप्रदेश १९. धरणोपपात १९. विद्याचरणविनिश्चय २०. वैश्रमणोपपात २०. गणिविद्या २१. वेलन्धरोपपात २१. ध्यानविभक्ति २२. देवेन्द्रोपपात २२. मरणविभक्ति २३. उत्थानश्रुत २३. आत्मविशोधि २४. समुत्थानश्रुत २४. वीतरागश्रुत २५. नागपरिज्ञापनिका २५. संलेखनाश्रुत २६. निरयावलिका २६. विहारकल्प २७. कल्पिका २७. चरणविधि २८. कल्पावतंसिका २८. आतुरप्रत्याख्यान २९. पुष्पिका २९. महाप्रत्याख्यान ३०. पुष्पचूलिका ३१. वृष्णिदशा जहाँ तक श्वेताम्बर में प्रचलित आधुनिक वर्गीकरण का प्रश्न है, उसकी चर्चा के पूर्व यह जान लेना आवश्यक है - उसकी स्थानकवासी और तेरापन्थ की परम्पराएँ मात्र ३२ ही आगम मान्य करती है। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा में भी दो मान्यताएँ है - (१) ४५ आगमों की और (२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520561
Book TitleAnusandhan 2013 03 SrNo 60
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages244
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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