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________________ मुहुः कुहूभस्मनि कश्मलत्वं, हर्तुं विधिर्धर्षति शर्वरीशम् । तथापि ते वक्त्ररुचिर्न तस्य, स्वाभाविकात् कृत्रिममन्यदेव ॥ पत्र-१५ श्लोक-९३ अयत्नवालव्यजनीभवन्ति, चलत्पताका जिनसौधमूर्ध्नि । रवेरपीन्दोर्गगनभ्रमोत्थ-खेदापनोदाय कृतोद्यमेव ॥ पत्र-१३, श्लोक-२३ पत्र १०-श्लोक ३९-४२मां उदयविजयजीओ श्लेष द्वारा चाडीचुगली करनाराओ प्रत्ये व्यक्त करेली नाराजगी, पत्र-११मां विबुध नयविजयजीओ प्रयोजेली कादम्बरी, स्मरण करावती समासप्रचुर शैलीथी शोभता गद्यखण्डो, पत्र-१२मां विरोधाभास जेवा अलङ्कारोथी मण्डित गद्यांशो, पत्र-१७मां श्रीचन्द्रप्रभस्वामीनी चन्द्रना लाञ्छन अंगे विविध कल्पना द्वारा करेली स्तुति - आ बधानी रमणीयता अनुभवैकगम्य छे. साहित्यरसिक सहदय जीवोने आ पत्रोमांथी अनुपम खजानो मळशे ते निःशङ्क छे. 'वदन्तां, पतन्ताम्' (विबुध नयविजयजीना पत्रमा) जेवा विलक्षण प्रयोगो पण आ पत्रोमांथी सांपडे छे. आ पत्रोमां उल्लिखित व्यक्तिविशेषोनो परिचय आपी शकायो नथी, मुख्यत्वे बे कारणे - १. आमानां घणां नाम आ सिवाय अन्यत्र नोंधायां नथी. २. ते युगमां समान नाम धरावता मुनिओ घणा हता. अटले नाम साथे उपलब्ध विगृत व्यक्ति साथे जोडवी के नहि ते मूंझवण रहे. जेमके आ पत्रोमां प्रभसूरि महाराज साथे पं. यशोविजयजी, नाम वांची आपणे प्रसिद्ध उपा. यशोविजयजीनी ज पूर्वावस्था कल्पी लईओ, पण आ पं. यशोविजय ओ महोपाध्यायथी जुदा ज छे, ते पं. नयविजयजीना पत्रमा बे यशोविजयनो उल्लेख जोइने खबर पडे. शिलालेखो, प्रतिमालेखो, ग्रन्थप्रशस्तिओ, लेखनपुष्पिकाओ, विज्ञप्तिपत्रो अने अन्य जैतिहासिक उल्लेखोने आधारे व्यवस्थित पट्टावलीओ घडवानी केटली ताकीदे जरूर छे ते आवां कार्योमां अनी ऊणप साले त्यारे ज समजाय छे. विज्ञप्तिपत्रोनो विशेषाङ्क करवानुं नक्की कर्यु त्यारे पचासेक पत्रो अने तेनो बे विभागमा समावेश-आवी धारणा हती. परन्तु ते समय जतां सामग्री सांपडती गई ते, तथा पत्रोनी विशालता जोतां काम जरा मोटु तथा अटपटुं थतुं गयु. ते ज कारणे अंक तैयार थवा, पण विलंबातुं गयु. बधा पत्रोनी प्रतिलिपि करवानुं काम पण साव सहेलुं तो नहोतुं ज. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520561
Book TitleAnusandhan 2013 03 SrNo 60
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages244
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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