SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ फेब्रुआरी में भी मुख्यतः चरितकाव्य ही विशेष रूप से लिखे गये है । स्वयम्भू आधि ने अनेक लेखकों ने चरित काव्य भी अपभ्रंश में लिखे है - जैसे पउमचरिउ आदि । - २०१२ १३७ I भाषाओं की अपेक्षा से अपभ्रंश के पश्चात् जैनाचार्यों ने मुख्यतः मरू गुर्जर अपनाया । कथासाहित्य की दृष्टि से इसमें पर्व कथाएं एवं चरितनायकों के गुणों को वर्णित करने वाली छोटी-बड़ी अनेक रचनाएं मिलती है । विशेष रूप से चरितकाव्य और तीर्थमालाएं मरूगुर्जर में ही लिखी गई है । तीर्थमालाएं तीर्थों सम्बन्धी कथाओं पर ही विशेष बल देती है । चरित, चौपाई, ढाल आदि विशिष्ट व्यक्तियों के चरित्र पर आधारित होती है और वे गेय रूप में होती है । इसके अतिरिक्त इसमें 'रासो' साहित्य भी लिखा गया है। जो अर्ध ऐतिहासिक कथाओं का प्रमुख आधार माना जा सकता है I I I आधुनिक भारतीय भाषाओं में हिन्दी, गुजराती, मराठी और बंगला में भी जैन कथा साहित्य लिखा गया है । महेन्द्रमुनि ( प्रथम ), उपाध्याय अमरमुनिजी एवं उपाध्याय पुष्करमुनि जी ने हिन्दी भाषा में अनेक कथाएं लिखी है, इसमें महेन्द्रमुनिजीने लगभग २५ भागों में, अमरमुनिजी ने ५ भागों में और उपाध्याय पुष्करमुनिजी ने १४० भागों में जैन कथाएं लिखी है । एक भाग में भी एक से अधिक कथाएं भी वर्णित है । ये सभी कथाएं कथावस्तु और नायकों की अपेक्षा से तो पुराने कथानकों पर आधारित है, मात्र प्रस्तुतीकरण की शैली और भाषा मे अन्तर है । इसके अतिरिक्त उपाध्याय केवल मुनि जी और कुछ अन्य लेखकों ने उपन्यास शैली में अनेक जैन उपन्यास भी लिखे है । जहां तक मेरी जानकारी है वर्तमान में पाँच सौ से अधिक जैन कथाग्रन्थ हिन्दी में उपलब्ध है और इनमें भी कथाओं की संख्या तो सहस्राधिक होगी । हिन्दी के अतिरिक्त जैन कथा साहित्य गुजराती भाषा मे भी उपलब्ध है, विशेष रूप से आधुनिक काल के कुछ श्वेताम्बर आचार्यों और अन्य लेखकों ने गुजराती भाषा में अनेक जैन कथाएं एवं नवलकथाएं लिखी है। यद्यपि इस सम्बन्ध में मुझे विशेष जानकारी तो नहीं है फिर भी जो छुटपुट जानकारी डॉ. जितेन्द्र बी. शाह से मिली है, उसके आधार पर इतना
SR No.520559
Book TitleAnusandhan 2012 03 SrNo 58
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2012
Total Pages175
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy