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डिसेम्बर २०११
"ऊपरा ऊपरि पोयण पान कुंलां बत्रीसइं तसंमान समकालिं कोइक बलवंत सूई साथि वींधई करि तंत ॥७॥ एकथी" बीजइ सूई जाय विचि असंख्य समय तिहां था । जीर्ण वस्त्र वलि फाडइं कोई त्रागिं त्राग समय विधि सोय ॥८॥ समय असंख्याते एक आवली बि सई छप्पन्न तेहज सांकैली क्षुल्लक भव एक एह प्रकासि साढा सतर भव स्वासोस्वासि ॥९॥ महूरतनी आवली एक कोडि लाख सतसठि सहस सत्योत्यरि जोडि दो सई सोल उपरि ते वली मुहुरत बिं घडी ए आवली ॥१०॥ बीजुं बि घडी मान जगीस पांसठि सहस १२ साधिक छत्रीस सूक्ष्मनिगोदि जीव भव जाय बीजी परिं महुरत इम थाय ॥११॥ महूरतमान त्रीजुं हवई सूणो सहस त्रिणिनई सातसई गणो सासोस्वास त्रिहुतरि बलि कह्या महुरतभेद गुरुवचनें लह्यां ॥१२॥ एहवा त्रीस महूरत १४ जाय रातिदिवस एक एतलें थाय १५ तिणि पनरे पखि दो पख मास वरसतणा पणि बारइं मास ॥१३॥
असंख्य वरस एक पल्यना जोडि सागर पल्य दस कोडाकोडि इम उच्छर्पिणी नई अवसर्पिणी दस दस कोडाकोडि सागर तणी ॥१४॥
कालचक्र एतलई नीपनुं कालमान ए अढीद्वीपनुं
ए पुदगलपरावर्त्ति जाय चउभेदे पुदलग (गल) कहिवराय ॥१५॥
परमाणूं खंधादिक च्यारि अनंत परमाणूं खंध विचारि तेहथी थोडो कहीइं देश देशथी ऊणो तेह प्रदेश ॥ १६ ॥
४७
परमाणूनो भाग न होय केवलज्ञानी जाणें सोय विविध वर्ण गंध रस फास पुदगल भेद अनंत निवास ॥१७॥
धर्माधर्म पुदगल आकाश काल सहित पंच अजीव प्रकाश जेह चलावें तेहज धर्म थिर राखइ ते को अधर्म ||१८||
अवर पदारथ द्यइं अवकाश ईणनं लख्यण बोल्यो आकाश लोक धर्माधर्म अढीद्वीप काल पुदगल सघलई गगन विशाल ॥ १९ ॥ १६