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________________ अनुक्रमणिका श्रीवीतरागस्तवनं आदिनाथनमस्कारश्च ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि १ उम्बरवाडिपार्श्वनाथ प्रशस्ति मुनि सुजसचन्द्र - सुयशचन्द्रविजयौ ६ विद्वानोनो काव्यविनोद उपा. भुवनचन्द्र एक अनुकरणात्मक स्तुति-रचना मुनि सुजसचन्द्र - सुयशचन्द्रविजयौ १६ पं. देवप्रभ विरचित कुमारपाळ रास मुनि सुजसचन्द्र - सुयशचन्द्रविजयौ १८ ओसवाल गोत्र कवित्त मुनि सुजसचन्द्र - सुयशचन्द्रविजयौ २६ श्रीज्ञानविजयकृत श्रीनेमिनाथस्तवन मुनि प्रशमचन्द्रविजय ३१ केटलीक फुटकळ कृतिओ रसीला कडीआ ३६ पं. देवचन्द्र रचित नवतत्त्व-चोपाई साध्वी दीप्तिप्रज्ञाश्री ४३ आणंदवर्धन-रचित नवतत्त्व-चउपई साध्वी दीप्तिप्रज्ञाश्री ६७ ट्रॅकनोंध : उत्तराध्ययन-नियुक्तिनी ओक गाथाना अर्थ विशे अर्हत्ना ३४ अतिशयो विशे आदिनाथस्तव (ते धन्ना...) विशे मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय स्वाध्यायः विशेषावश्यक महाभाष्यनो स्वाध्याय करतां... १०७ विहंगावलोकन उपा. भुवनचन्द्र ११४ विक्रमादित्य की ऐतिहासिकता जैनसाहित्य के सन्दर्भ में डॉ. सागरमल जैन ११७ नवां प्रकाशनो १२५
SR No.520558
Book TitleAnusandhan 2011 12 SrNo 57
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages135
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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