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________________ ऑगस्ट २०११ १५१ तेथी प्रधानपणे सामान्यग्राहक केवलदर्शनमां गौणपणे विशेषोनो बोध छे ज, तेम ज प्राधान्यथी विशेषग्राही केवलज्ञान गौणपणे सामान्यग्राही छे ज, अने अटले ते बन्ने सर्वविषयक बने छे - आवं समाधान आ समस्यानुं सूचववामां आवे छे; पण प्राधान्यथी सर्वविषयकत्व क्यांय न रहेवानी आपत्ति ऊभी ज रहे छे. ८. दर्शन फक्त सामान्यग्रहणरूप ज होय, अमां कोई विशेषता आवती ज न होय तो शा माटे चक्षुथी थतुं दर्शन ते चक्षुर्दर्शन अने अन्य ४ ज्ञानेन्द्रियो ने मनथी थतुं दर्शन ते अचक्षुर्दर्शन - आवा विभाग पाडवा पडे ? 'सन्मति'कारना शब्दोमां कहीओ तो चक्षुरिन्द्रियजन्य सामान्य बोधमां, अन्य इन्द्रियोना सामान्य बोधनी अपेक्षाओ ओवी कई विशेषता हती के तेने 'चक्षुर्दर्शन' अq जु, शीर्षक आपवू पडे ?' ९. चाक्षुष अने मानस प्रत्यक्षमां व्यंजनावग्रह नथी होतो ते बराबर छे. पण अनो मतलब ओ थोडो करी लेवाय के त्यां मतिज्ञाननी प्रक्रिया सीधी अर्थावग्रहथी ज आरम्भाय छे ? छद्मस्थ, कोई पण ज्ञान अन्तर्मुहूर्तथी ओर्छ न होय तो अने सीधो ज ओक समयमात्रनो अर्थावग्रह सम्भवे ज कई रीते? अर्थावग्रह अटले के विषय अने इन्द्रियनी ग्राह्य अने ग्राहक तरीकेनी स्थापना साथेनो अल्प बोध के जे थवामां श्रोत्रादि इन्द्रियोमा असंख्य असंख्य समयो लागी जाय छे ते चक्षु के मनना उपयोगना प्रथम समये ज थाय ज कई रीते? आवा आवा अनेक प्रश्नो उद्भवे छे, जे सूचवे छे के चाक्षुष अने मानस प्रत्यक्षमा अर्थावग्रहथी पूर्वे ओवी कोई ज्ञानमात्रा मानवी ज जोइओ के जे त्यां व्यंजनावग्रहनी खोट पूरी शके. १०. दर्शन अंगेनी प्रचलित समजणनो मुख्य आधार छ : 'सामान्य अने विशेष -उभयात्मक वस्तुना सामान्य अंशनुं ग्राहक ते दर्शन' आवी मान्यता.२ आनी सामे दर्शन- विषयक्षेत्र दर्शावतो आगमिक पाठ जुओ : "से किं तं दंसणगुणप्पमाणे ? दंसणगुणप्पमाणे चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा - चक्खुदंसणगुणप्पमाणे अचक्खुदंसणगुणप्पमाणे ओहिदसणगुणप्पमाणे केवल१. "एवं सेसिंदियदंसणम्मि नियमेण होइ ण य जुत्तं । अह तत्थ नाणमित्तं घेप्पइ चक्खुम्मि वि तहेव ॥" - सन्मति-२.२४ २. पृष्ठ १४५- टि.१. अभिधानराजेन्द्रकोशमां 'दंसण' शब्दना विवरणमां आ मतलबना घणा पाठो दर्शावाया छे.
SR No.520557
Book TitleAnusandhan 2011 09 SrNo 56
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size115 KB
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