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________________ अनुसन्धान-५६ ६. गुणकित्त्व-षोडशिका - परिचय आगे दिया जाएगा । ७. अघटकुमार-चौपाई - रचना संवत् १६७४ में जिनसिंहसूरि के राज्य में हुई है। ८. धर्मबुद्धि-सुबुद्धि-चौपाई - रचना संवत् १६९७, राजनगर । ९. ललितांग-रास १०. लुम्पक-मतोत्थापक-गीत - इसमें लोकाशाह के मत का खण्डन किया गया है ।। ११. पञ्चकल्याणकस्तव-बालावबोध १२. सप्तस्मरण-स्तबक इन कृतियों का परिचय देखें - खरतरगच्छ-साहित्य-कोश । गुणकित्त्व-षोडशिका इसमें मूल श्लोक १६ हैं । गुण और कित्त्व पर विचार होने के कारण गुणकित्त्व-षोडशिका नामकरण किया गया है । इस पर स्वोपज्ञ टीका है । यह ग्रन्थ व्याकरण शास्त्र से सम्बन्ध रखता है । धातुरूपों में किस अवस्था में कित्त्व या गुण होता है इस पर सम्यक् रीति से विचार किया गया है । फक्किका स्वरूप इसकी रचना है । टीका में पाणिनि-व्याकरण के सूत्र और धातुपाठ देते हुए इसका सम्यक् प्रकार से प्रतिपादन किया है। प्रशस्ति में रचना संवत् प्राप्त नहीं है, किन्तु "श्रीजिनसिंहसूरिविजयिराज्ये' उल्लेख होने से स्पष्ट है कि श्रीजिनसिंहसूरि का साम्राज्यकाल १६७० से १६७४ का है, अतः इसकी रचना भी इसी मध्य में हुई होगी । प्रतिलिपिकार : प्रान्त पुष्पिका में "पं० श्रीजिवकीर्तिगणि-लिखितं" लिखा है। इसमें लेखन-संवत् नहीं दिया है । जीवकीर्ति में 'कीर्ति'नन्दी को देखते हुए यह अनुमान किया जा सकता है कि मतिकीति के साथ ही इनकी दीक्षा हुई होगी या उसी संवत् के आस-पास हुइ होगी। मतिकीर्ति के साथ या उसके पश्चात् दीक्षा होने से यह स्पष्ट है कि ये भी श्रीगुणविनयोपाध्याय के शिष्य थे । इसके द्वारा रचित साहित्य प्राप्त नहीं है, किन्तु गुणविनयोपाध्याय-रचित भाव
SR No.520557
Book TitleAnusandhan 2011 09 SrNo 56
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size115 KB
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