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अनुसन्धान-५५
ट्रंक नोंध :
उपाध्याय श्रीयशोविजयजीनी
गुरु-शिष्यपरम्परा चंदराजाना रासनी १९मा सैकानी एक प्रति जोवामां आवी. तेनी पुष्पिकामां उपा. यशोविजयजीनी परम्परा विषे वांचतां ख्याल आव्यो के सं. १८६६ सुधी तो तेमनी परम्परा प्रवर्तती ज हती. त्यार पछी पण केटलोक वखत ते चालु रही होय तो ते बनवाजोग छे. ते पुष्पिका आ प्रमाणे छे :
संवत १८६६ना वर्षे आसो सुदि २ दिने वार बुधे सकल भट्टारक पुरन्दर भट्टारक श्रीश्री १०८ हीरविजयसूरीश्वरजी तत्शिष्य महोपाध्याय श्रीश्री १०८ श्री कल्याणविजयगणि तशिष्य सकलपण्डितशिरोमणी पण्डित श्री १९ लाभविजयगणि तत्शिष्य सकलपण्डितशिरोमणी नयविजयगणी तशिष्य सकलवाचकपुरन्दरवाचकचक्रचक्रवर्ती महोपाध्याय श्रीश्री १०८ महोउपाध्याय श्रीश्री श्रीमत् यशोविजयगणी तत्शिष्य सकलपण्डितशिरोमणी पण्डित श्री १९श्री गुणविजयगणी तशिष्य सकलवाचकपुरन्दर वाचक महोउपाध्याय श्रीश्री १०८ श्रीसुमतिविजयगणी तशिष्य सकलपण्डित शिरोमणी पण्डित श्रीश्री १९ उत्तमविजयगणी तशिष्य सकलपण्डितशिरोमणी पण्डित श्रीश्री १९ श्रीप्रतापविजयगणी तत्शिष्य पं. गंगविजयेन लिपीकृतं च भूधरजी कान्हुजीरामजी कान्हुजी वाचनार्थं श्रीमुंबईबंदिरे श्रीगोडीपार्श्वनाथप्रसादात् । श्रीरस्तु कल्याणमस्तु श्रेयोस्तु शुभं भवतु ॥
__आना परथी उपाध्यायजी महाराजनी पांच पेढी सुधी तो शिष्यपरम्परा चाली हती ते नक्की थाय छे, अने वधुमां तेमनी पांचमी पेढीना शिष्य मुम्बई पण गया हता अने गोडीजीना प्रख्यात देरासरमां आ पोथी तेओए लखी हती ते पण जाणवा मळे छे.
- मुनि धुरन्धरविजय 'अरिहंत' समृद्धि एपा. पासे, हाई-वे, डीसा-३८५५३५