SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मई २०११ २३ श्रीकल्याणसागरसूरिविरचितं श्रीपार्श्वनाथसहस्रनामस्तोत्रम्॥ - शी. १७मा शतकमां थयेला, अंचलगच्छीय आचार्य श्रीधर्ममूर्तिसूरिना पट्टधर, आ. श्रीकल्याणसागरसूरिजीनी आ रचना छे. १५० श्लोक-प्रमाण आ संस्कृत रचना पार्श्वनाथनां सहस्रनामो दर्शावती रचना छे. आपणे त्यां पोताना इष्टदेवदेवीने विषय बनावीने तेनां सहस्रनामोनां स्तोत्र बनाववानी प्रथा सैकाओजूनी छे. 'विष्णुसहस्रनाम' 'देवीसहस्रनाम', 'सूर्यसहस्रनाम' इत्यादि रचनाओ भक्ति अने श्रद्धाना भावो साथे रचाई छे तेमज तेनां पारायण पण थाय छे. जैन धर्ममां पण 'अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय' (हेमचन्द्राचार्य), 'जिनसहस्रनाम' (उपा. विनयविजय), "सिद्धसहस्रनाम' (उपा. यशोविजय), 'पद्मावतीसहस्रनाम' वगेरे रचनाओ छे ज. अन्य लोकोनी जेम जैनोमां आ नाम-स्तोत्रोर्नु, आजे तो, गानपारायण नथी थतुं; भूतकालमां पण तेवू थतुं होवाना कोई निर्देश मळता नथी. छतां प्रभुभक्ति-प्रेरित आ रचनाओ अवश्य रचाई छे. आ शृङ्खलामां परोवी शकाय तेवी एक रचना ते प्रस्तुत 'पार्श्वनाथसहस्त्रनाम' जैन (२३मा) तीर्थङ्कर पार्श्वनाथने केन्द्रमा राखीने थयेली आ रचना मध्यम कक्षानी संस्कृत रचना छे. तेमां १००८ नामो आलेखेलां छे. प्रथम १५ श्लोकोनी प्रस्तावना छे, अने छेल्ले १४ श्लोकोमा उपसंहार. तेने बाद करतां, १० प्रकरणोमां सहस्रनामावलिनो समावेश थयो छे. दरेक प्रकरणना प्रथम शब्द-नाम परथी ते ते शतक-प्रकरण- नाम पाडवामां आव्युं छे. दा.त. 'ऐश्वर्यशतम्', 'ज्ञानशतम्' इत्यादि. अन्तिम शतकनुं नाम, उचित रीते ज, पोताना नाम परथी कर्ताए आप्युं छे : कल्याणशतम्. प्रस्तावनाना तथा उपसंहारनां घणां पद्योमां श्रीहेमाचार्यकृत 'वीतरागस्तव'नां पद्योनी छाया प्रकट जोवा मळे छे, जे परथी कर्तानी कवित्वशक्तिनो अंदाज मळी रहे तेम छे. स्तोत्रना अन्ते आपेल पुष्पिकाथी स्पष्ट छे के आ प्रति ते कर्ताए
SR No.520556
Book TitleAnusandhan 2011 06 SrNo 55
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages158
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy