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'अनुसन्धान'नो प्रस्तुत अंक श्रीहेमचन्द्राचार्यनी पुण्यस्मृतिने समर्पित छे. सं. २०६६नुं वर्ष, तेमनी आचार्यपद - प्राप्तिनुं ९०० मुं वर्ष हतुं. ते निमित्ते आ विशेषाङ्क करवानो भाव जागेलो. सामग्रीनी विपुलताने कारणे आ अंक बे विभागमां प्रगट थशे ए अलग वात छे, परन्तु आ मिषे केटलुक मजानुं शोधकार्य थई शक्युं छे ते आनन्द आपी जाय तेवी बीना छे.
हेमचन्द्राचार्य अने संशोधन - बन्ने एकमेक साथे संकळायेल बाबतो छे एवं, तेमना जीवननी अनेक घटनाओ वांचतां अने तेमणे बनावेल त्रिषष्टिशलाकाचरित जेवा ग्रन्थो अवलोकतां, अनेकवार प्रतीत थाय छे. एक ज उदाहरण लईए : भारतमां थयेलुं सौथी प्रथम पुरातात्त्विक उत्खनन Excavation कयुं ? कोणे कर्तुं ?
आनो जवाब छे : सौ प्रथम उत्खनन राजा कुमारपाळे हेमचन्द्राचार्यना निर्देशथी कराव्यं विक्रमनी १३मी शताब्दीनी पहेली पचीशीमां. अने ए उत्खननकार्य थयुं भगवान महावीरना काळना वीतभयपत्तन नगरनी रणप्रदेश जेवी बंजर धरतीमां. सिन्धु देशनुं आ नगर उद्ध्वस्त थयेलुं. त्यां केवळ धूळ ज धूळ रही गयेली. त्यां क्यांक - कोईक टींबा नीचे - दटायेली, भगवान महावीरनी चन्दनकाष्ठ निर्मित प्रतिभानी शोध माटे ए उत्खनन थयेलुं. ते प्रतिमा जमीनमांथी शोधावी, कढावी, तेने पाटणमां लावी होवानो लेखित आधार हेमचन्द्राचार्यना त्रिषष्टि-ग्रन्थमां उपलब्ध थाय छे. ( पर्व १०, सर्ग १२, श्लोक ७८- ९५ ). आ उत्खननमां केवळ प्रतिमा ज नहि, पण ते प्रतिमानी पूजा माटे दानमां अपायेल ग्रामो वगेरेनुं 'दानपत्र' (ताम्रपत्र) पण मळवानो उल्लेख आचार्ये कर्यो छे.
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गुर्जरराष्ट्रना राजवी द्वारा सिन्धना रणमां उत्खनन थवानो आ पुरावो ए हेमाचार्य अने संशोधनविद्याना पारस्परिक तादात्म्यनी साख पूरे छे. स्व. डॉ. उमाकान्त प्रे. शाहे कहेलुं (अने क्यांक लखेलुं पण) के पुरातात्त्विक शोधखोळनुं
आ प्रथम उदाहरण गणाय.
गुर्जरधरित्रीना आदि पुरातत्त्वविद एवा श्रीहेमचन्द्राचार्य महाराजना पावन चरणोमां कोटि वन्दन !
- शी.