SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डिसेम्बर २०१० कोइल कोकिल पशु, तिर्यग् नरग नरक, श्वभ्र मनुक्ष मानव बालक शिशु, शाव बालपण शैशव बाल तरुण युवान - 1 - वडउ वृद्ध खिचर – विहङ्गम वडपण वार्धक सहय सहृदय बोलहर वाक्मान् (वाग्मी ?) गूगु - मूक बहिरु बधिर दातार कृपण मितम्पच सुजाण सुज्ञान अजाण अज्ञान डहेउं – विदुर वांदणहारु वन्दिर कहिणारु आशुंसु रूडा बोलु - प्रियंवद गहिलु ग्रथिल - - - - दाता, दानशूर आपवसू स्वतन्त्र, स्वाधीन परतंत्र पराधीन आपछंदउ आत्मच्छन्द महर्धिक लक्ष्मण दाद्री - दुविध अणाथीउ अकिञ्चन धनिक, प्रभु धणी दास कमारु वहीतरु - सुहड सुभट कायर कातर भीरु विगृह दयालू सूग 1 - - - मारणहार मारविउं धूर्त क्रूर मायावी मिस - - - भोजक्ष (भुजिष्य ?) कर्मकर भारवाहि(ह)क, भारवैवध शूक व्याकुल, विहस्त दयालू, कृपालु - - - घातक व्यापादन शठ नृशंस चाडउ चोर – चौर, - व्याजात् कर्णेप व्यंसक पाटच्चर आलसू - तुन्दपरिमृज उंजमालु दान वितरण मागणहारुं - मार्गण, याचक भीखारी भिक्षाचर वणीमग वनीपक मागवुं – प्रार्थना हुणहार भविष्य लजालू उद्यमवंत (वान्) २७ अपत्रस्थ(त्रप?)
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy