SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ जाईया - पुत्रवधू, स्नुषा लवार - वाचाल, वावदूक सासू - सुश्रय (श्वधू) ऊलषु - उदकोल्लञ्चन ससरु - श्वशुर पलवटि- पलवर्तिपटी(परिवलितपटी) माय-बाप - मातरपितरौ दोटी - द्विपटी सगा - स्वजन कोटीलु - कुट्टनक मित्र - वयस्य निद्रालूउ - निद्रालक्ष फिरक - फर(स्फुरत्)चक्रिका माडही - बलात्कारेण[ण], हठात् प(पा)टूआली - पादप्रहारवती रूडउ - रुचिर, रम्य खाईकण - खादनक्षत्य(खादनपरः) । भलु - भव्य, सुन्दर उ(ऊ)घडदूघडु- उद्घट-दुर्घट भाणुं - भाजन, स्थाल बिवणुं - द्विगुणम् कचोलुं - चक्षु(ष)क त्रिगुणुं – त्रिगुणम् पीगाणुं - पीगानन(पिङ्गाणम्?) चुगणुं - चतुर्गुणम् घडउ - घट, कुम्भ कादमालुं - कर्दमाकुल | गढउं - उदक, गूढ (?) बापडउ - वराक करवु(उ) - कर्क (करक) वहुरउं - वि(व्य)वहृत गागरि - गर्गरी पोठीउ - पृष्ठवाह बेलु - बिवद्रा(?) अरणइं - अरति कलसु - कलश सोहिलं - सुखावहम् माटी - मृत्तिका, मृद् दोहिनु - दुःखावहम् सोनुं - सुवर्ण, कनक, हेम[न्] सूआखें - सुकुमाल, मृदु रूपुं - रजत, रूप्य खरखरूं - कठिन, कठोर त्राबूं - ताम्र घाइसुं - सहसा सीसुं - सीसक, वङ्ग कबड(कडब) - कडा(णा)बा तरूउं - त्रपु, नाग बलही - बलाहिका कासुं - कांस्य आहार-जाहार - आगम-निर्गम, एहिरे- लोहडउं - लोह, अयस् आगर - आकर महासाहणी - महासाधका खाणि - खानि -याहिरा
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy