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________________ डिसेम्बर २०१० ९५ शकातो न होय ते देश्य शब्दो छे. सम्पादक, वीर, नीर, संसार वगेरे शब्दो पहेला प्रकारना, घट-घड, पठ-पढ वगेरे बीजा प्रकारना अने ओरल्ली (लांबो मधुर स्वर), इल्ली (सिंह) वगेरेने त्रीजा प्रकारना शब्दोनां दृष्टान्तो तरीके नोंधे छे. विविध शास्त्रोमां वस्तुना स्वरूपनो निर्णय करवा माटे वर्ण्य वस्तुनुं लक्षण बांधवामां आवतुं होय छे. आनाथी विषयवस्तुने समजवामां सुविधा थती होय छे. आचार्यश्रीओ आ परिपाटी स्वीकारीने पोताना आ ग्रन्थना स्वरूप निर्णय जणावतां कर्तुं छे के प्राकृतभाषाना अक विशेष भागरूपे आदिकाळथी चाली आवती भाषा ते देश्य के देशी प्राकृत. आम देश्य प्राकृत ओ प्राकृतभाषानो ज ओक विशेष प्रकार छे. हेमचन्द्राचार्ये आ सङ्ग्रहमां देशी शब्दोनी व्यवस्थित क्रमवाळी गोठवणी आपी छे. आ पूर्वेना देश्य शब्दसङ्ग्रहना कोइ पण ग्रन्थमां आवी क्रमवाळी शब्द गोठवणी मळती नथी. आ व्यवस्थाथी अभ्यासीओने शब्द शोधवामां सुविधा थाय छे. बीजुं आवा शब्दोना व्यवहार समजाववा माटे व्यापक रीते उदाहरणगाथाओ आपवामां आवी होवाथी, जे ते शब्दना प्रयोग विशे स्पष्टता थाय छे. लेखनपद्धति : प्राकृतभाषामां लेखन रचना अंगेना केटलाक मुद्दाओ नीचे मुजब छे : १. ऋ, ऋ, लु, लु, मे, औ ना लिपिचिह्नवाळा स्वरोनो वपराश नथी. २. तालव्य श अने मूर्धन्य ष ना बदले मात्र दन्त्य स वपराय छे. ३. आदिस्थानमा कोइपण शब्दमां य वपरातो नथी होतो. आ सङ्ग्रहमा आचार्ये आ लेखनपद्धति स्वीकारी छे अने ते मुजब नीचे प्रमाणेना आठ वर्ग पाडीने वस्तु संकलना करी छे. वर्गक्रम मूळगाथाक्रम( अने) तेमां समाता स्वर-व्यञ्जनो ५-१७४ आदिमां स्वरवाळा शब्दो बीजो १७५-२८६ आदिमां क वाळा शब्दो बीजो २८७-३४८ आदिमां च वाळा शब्दो प्रथम
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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