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________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ देशीप्राकृत साहित्य पण प्रतिष्ठित हतुं. एक जैन आचार्ये पोताना भाष्यमां पादलिप्तसूरि लिखित तरङ्गवती नामना आख्यायिका ग्रन्थनो उल्लेख को छे ते ग्रन्थ देशीप्राकृतमां रचायेलो होवानुं कहेवाय छे. आ सिवाय बीजुं देशीप्राकृत साहित्य पण हशे तेवू अनुमान अने देशीशब्दसङ्ग्रहोना उल्लेखो मळे छे ते परथी बांधी शकाय. उ.त. आचार्य हेमचन्द्र पोताना सङ्ग्रहनी वृत्तिमां जुदाजुदा सङ्ग्रहकारोना केटलाक नीचे मुजबनां नामो आपे छे : १. द्रोण, २. अवन्तीसुन्दरी, ३. अभिमानचिह्न, ४. शीलाङ्क, ५. धन पाळ, ६. सातवाहन, ७. गोपाल, ८. देवराज (गोकुलप्रकरणनो कर्ता), ९. पाठोदूखल. आटला बधा देशी शब्दसङ्ग्रहो थया होय तेमांथी सूचन मळे छे के ओक काळे देशी प्राकृत साहित्यनो प्रचार, देशमां सारा प्रमाणमां हशे. पण्डितजी नोंधे छ के (१) द्रोण अने (४) शीलाङ्क नामना जैनाचार्यो थइ गया छे, परन्तु तेओ अहीं निर्देशेल देश्य शब्दसमूहोना रचयिता हशे के केम ते अंगे कशं ज निश्चितपणे कही शकाय तेम नथी. तेवू ज (२) अवन्तीसुन्दरीनो उल्लेख ११मा सैकामां थयेल कवि धनपाळनी नानी बहेन सुन्दरीने सूचित करे छे के केम ते विषे कही शकाय नहीं. (५) धनपाळ तिलकमञ्जरी आख्यायिकानो रचयिता छे तेनो निर्देश होवानुं जणाय छे. ग्रन्थनी रचना विषे : प्राचीन ग्रन्थकर्ताओ ग्रन्थना आरम्भरूप मङ्गलाचरणमां इष्टदेव- स्मरण करीने ग्रन्थना विषय वस्तुनो निर्देश करता हता, ते परिपाटी स्वीकारीने आचार्य हेमचन्द्र पण चाल्या छे. तेओए आ ग्रन्थ, विषयवस्तु देशी शब्दोनो सङ्ग्रह छे ते शरुआतमां मूळ बीजी गाथामां स्पष्ट कर्यु छे. आ विषय वस्तुने अर्थात् देशी शब्दो आपेला छे तेने समजवा माटे आ ग्रन्थ छे. बीजी रीते कहेतां, आ ग्रन्थ आपेला शब्दोने समजवा साधन छे. प्राकृत व्याकरणोमां प्राकृतभाषाना तत्सम, तद्भव अने देश्य सेवा त्रण प्रकारो पाडवामां आवे छे. तत्सम अटले संस्कृतना जेवा (अहीं तत् अटले संस्कृतभाषा समजवानी छे.) संस्कृत द्वारा व्युत्पन्न थई शक्या होय ते तद्भव अने जे शब्दोनो प्रकृति अर्थात् मूळ अमुक अंश अने प्रत्ययनो भेद करी
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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