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अनुसन्धान ५२
रथशालिकने रथतणो, नगरतणो कोटवाल । बलवाहक सेनपती, इंम सुंप्या अधिकार ॥५॥
ढाल - ८ : जयो जिन नेमजी ओ ॥ ओ देशी ॥ हस्तिरतन शणगारतो अ, उज्जल वेश विशाल । कवच शिर झुल्य छे अ, घण्टा घुघर माल ॥१॥
हरख हइयडे घणो अ.... अम्बाडी अम्बर अडी अ, रत्न जडीत झलकन्त । कसेलां दोरडां ओ, ग्रीवा भरण महन्त ॥२॥ हरख० ॥ कान आभूषण दीपतां अ, शिर सिंदूर सोहन्त । सरल कंचनमयी ओ, गीरी दाढा दोय दन्त ॥३॥ हरख० ॥ ११कृष्णवरण चामर धर्या मे, मद गंधे झंकार । करे वलि अलि मली अ, तास वरणे अन्धकार ॥४॥ हरख० ॥ चाप प्रमुख शस्त्रे भर्यो अ, जिम रण थम्भ मनाक । गिरी शिर सेहरो अ, छत्र सध्वज सपताक ॥५॥ हरख० ॥ घण्टा युगल ते वीजली अ, मेघ समो करि श्याम । पवनजय वेगमां ओ, पटहस्ति जस नाम ॥६॥ हरख० ॥ घोडा रथ भट इंणि परे ओ, सैन्य सजी चतुरंग । कहे सेनानीने अ, ओ तुम आणि अभंग ॥७॥ हरख० ॥ यान शालिक वाहन सजे अ, यान शालाने बार । अन्तेउर कारणे अ, वस्त्रावृत अपहार ॥८॥ हरख० ॥ समलादिक छत्री धरीओ, यान शकट रथ जोय । कनक भुषण जड्यां ओ, वृषभ जोतरिया दोय ॥९॥ हरख० ॥ निज निज सारथिने ठवी, सन्मुख मार्गे करन्त । पछे सेनानी अ, भाखे सकल उदन्त ॥१०॥ हरख० ॥ हाट सजे हीरागले अ, मंचातिमंच कमाल । अशुचि कढावता अ, सुभट सहित कोटवाल ॥११॥ हरख० ॥ सीत सुगन्धी जल छटा अ, तिग चउ चच्चर ठाम । धाम परिव्राजका अ, आगन्तुक आराम ॥१२॥ हरख० ॥