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________________ सप्टेम्बर २०१० लघु उंचतर घर मण्डली अ, यानशाला धान्यगेह । आवेशन थानकें अ, खडीइ घोल्यां तेह ॥१३॥ हरख० ॥ ठाम ठाम ध्वज झलकता अ, पंचवरण छे अनूप । त्राट तोरण सज्यां ओ, गन्धवटीना धूप ॥१४॥ हरख० ॥ घोल करी हाथा दीया ओ, रक्त चन्दन गोसीस । जई सेनानीने ओ, वात कहें नमी शिस ॥१५॥ हरख० ॥ सूत्र - ३० भूपति बलवाहक थकी ओ, सांभली हर्ष धरन्त । अट्टण शाला जई ओ, मल्लयुद्धे थाकन्त ॥१६॥ हरख० ॥ लक्षपाक तेल मर्दनें अ, पूरण पाणी पाय । कुशल शिलपी नरा अ, चउविह अंग सुहाय ॥१७॥ हरख० ॥ गंध कुसुम तिरथोदकें ओ, मज्जनघर करे स्नान । लुहे निज अंगने अ, शाटिका रक्तवान ॥१८॥ हरख० ॥ वस्त्र धरे विलेपणे ओ, बावना चन्दन हर्ष । घणो वीर वांदवा ओ, नमन स्तवन उतकर्ष ॥१९॥ हरख० ॥ ॥ दूहा ॥ मुगट धरे शिर सोहतो, हार वली अर्धहार । कुण्डल मुख अजुआलतां, कण्ठ ठवे फुलमाल ॥१॥ कटक-तुटित-थम्भित भुजा, शोभित श्रेणीकपूत्र । मुद्रा वेढ वरांगुली, रत्नजडित कटीसूत्र ॥२॥ लम्ब चीवर उत्तरासने, जडित रयण कनकांग । वीरगरव सूचक भणी, वीरवलय भुज चंग ॥३॥ सहस उतर अठ शालिका, लम्बित मोती माल । दण्ड वैडुर्य रजतपटो, वांम प्रमाण विशाल ॥४॥ वीषहर ऋतु सुख उजलुं, छत्र हरत अन्धकार । मुखकज सेवन हंसिका, चंचल चामर च्यार ॥५॥ कल्पतरूस्युं अलंकर्यो, मज्जनघरथी राय ।
SR No.520553
Book TitleAnusandhan 2010 09 SrNo 52
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages146
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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