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________________ सप्टेम्बर २०१० श्री जिनहर्षसूरीसरू, वडखरतरगछईश, लघुभ्राता उवज्झाय तसु, आनन्दरत्न गणीश ॥ दु(दू)हा ॥ तिनके क्रमकजलेससम, वच्छराजमुनिदास तिण ए भाषामें रची, रचना वचन विलास नन्नीबीबी श्राविका, शीलवंत गुरुभक्त, आग्रह तास विशेषतें, दोहे कीये व्यक्त इनको वांच विचारकै, करो विरत शुभकाज, जैन धर्म सेवो सदा, शिवमन्दिर की पाज ॥ इति विगय-निवायता विवरण संपूर्णम् ॥ C/o. अश्विन संघवी कायस्थ महोल्लो, गोपीपुरा, सूरत-३९५००१ ॥ विगयना प्रकारचें यंत्र ॥ विगयर्नु नाम प्रकार १ । २ । ३ ।। सामान्य विगय भेंसनुं बकरी- घेटी, उटंडीनुं गायनुं भेंसनुं बकरीनुं | | घेटीनुं भेस- | बकरीनुं | घेटीनुं तलनुं सरसवनुं अलसी- करडर्नु पिंडगोल द्रवगोल पकवान्न घीमां तळेखें | तेलमां तळेखें महाविगय मध | मक्खी भमरीनुं (माखीनु) मदिरा | २ | काष्टनी पिष्टनी मांस | जलचरनुं स्थलचरनुं | गाय- भेसन | बकरीनुं | घेटीनुं ब Wococcs गायनुं | कुंतियानुं oc WWW | खेचरनुं माखण
SR No.520553
Book TitleAnusandhan 2010 09 SrNo 52
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages146
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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