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अनुसन्धान ५२
वाजिनं कोडा-कोडि, अणवाई वाजइं गयणि ॥१६॥ रोम राय नह केस, व्रत लीधइ वाधइ नहि य । पाप प्रमाद प्रवेसु, करइ न जिणवर सयरि खणु ॥१७॥ ए अतिसय चउतीस, सामी तुअ तणि सवि वसइ ।। मू मणि एह जगीस, जाणउ जइ तउ इउ लगउ ॥१८॥ तूं माया तूं तात, तूं बांधव तूं मज्झ गुरु । तउं विणु नही उपाउ, सुगति पंच पंचिय जणहं ॥१९॥ तउ पर परमानंद, परमपुरुष तउं परमपउ । तई मोडिय भवकंदु, तइं अणुबंधित कलपतरु ॥२०॥ निय पय पंकय सेव, विमलाचलमंडण रिसह । अह निसि देजे देव, अवरु न कांई इच्छिय ए ॥२१॥
॥ सर्व जिन चउतीस अतिसय वीनती ।।