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________________ आवरणचित्र-परिचय कागल उपर लखाती हस्तप्रतोना प्रारम्भनां पानां पर तथा छेल्लां पानां पर, महदंशे, सुशोभनचित्र आलेखवानी प्रथा १५मा शतकथी जोवा मळे छे. आ चित्रपत्रने 'चित्रपृष्ठिका' तरीके ओळखावाय छे. क्यारेक आ सुशोभनचित्र बहु विलक्षण पण होय छे. अहीं एवं ज एक चित्र आवरण-पृष्ठ पर मूकवामां आव्युं छे,जे सामान्य चित्रपृष्ठिका करतां तद्दन जुदं छे. अंग्रेजी स्कूल के स्टाइलनुं आचित्र छे. तेमां मध्यमां मोटां-ऊंचां मकानो धरावतुं नगर छे, तेने फरतो किल्लो-कोट छे. तेनी चोपास समुद्रजळ अने तेमां सागरयात्रा करी रहेलां जलयानो-वहाण छे. वहाणो पर फरकता वावटामां युनियन जेक-अंग्रेजोनो ध्वज आलेखायेलो स्पष्ट जोई शकाय छे. एक इमारत उपर पण ते ध्वज देखाय छे. सम्भवतः आ बधां सैनिक-जहाजो लागे छे. उपर एक नाना जहाज पर कूवाथंभ पकडेली बे मानवाकृति दृष्टिगोचर थाय छे, तो नीचे डाबे एक नानी होडीमां बेठेली 4 मानवाकृति पैकी बेना हाथमां हलेसां जोई शकाय छे. चित्रपुंठीनो मुख्य-मध्यांश ज अने प्रगट थयो छे बे तरफनी फूल-फुदडी अवकाश-संकोचने कारणे छापीशकाई नथी.अनुमानतः १९मो शतक.
SR No.520553
Book TitleAnusandhan 2010 09 SrNo 52
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages146
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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