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अनुसन्धान ५२
३. अध्यात्मोपनिषद् (सटीक), कर्ता : उपाध्याय यशोविजयजी; टीकाकार : आ. श्री भद्रङ्करसूरि, प्र. लब्धिभुवनजैन साहित्य सदन, छाणी; सं.
२०६६
न्यायाचार्य उपा० यसोविजयजीनी अध्यात्म विषयक तात्त्विक प्रतिपादन करतो आ ग्रन्थ अर्थगम्भीर अने शास्त्रात्मक ग्रन्थ छे. तेनुं अध्ययन जैन मुनिओमां निरन्तर प्रवर्ततुं होय छे. परन्तु ते उपर कोई अर्थबोधक विवरण न होवाथी घणीवार अध्येताओने विकट अनुभवाती रहे छे. स्व. आचार्यश्रीए बालसुलभ भाषामां विवरण करीने आ खोटनी पूर्ति करी छे. अभ्यासोपयोगी
प्रकाशन.
४. गणधरवाद ले. धीरजलाल डाह्यालाल महेता, प्र. जैनधर्म प्रसारण ट्रस्ट सुरत, वि. २०६५.
प्रभुवीरे इन्द्रभूति व. ११ ब्राह्मणपण्डितोनी शङ्काना निराकरण माटे तेओ साथे जे चर्चा करी ते 'गणधरवाद' तरीके ओळखाय छे. आ गणधरवाद विशेषावश्यकमहाभाष्य-गाथा १५४९थी २०२४मां विस्तृत रीते निरूपायो छे. तेना पर मलधारगच्छीय श्रीहेमचन्द्राचार्ये सरस टीका रचेली छे. प्रस्तुत ग्रन्थमां आ टीकानुं सरस विवेचन करवामां आव्युं छे. लेखके बाळजीवोने पण समजाय तेवी रीते गणधरवादनां रहस्योने खोलवानो प्रयास कर्यो छे. दर्शनशास्त्रना जिज्ञासुओ माटे उपयोगी प्रकाशन.