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________________ ४२ अनुसन्धान ५० (२) ॥ हंसराजपोसाल धुलबन्ध ।। अहँ नमः । ऐं नमः । ॥ ॥ राग - देसाख ॥ दहा बन्ध ॥ वीर जिणेसर पय नमी, गुरूउ' गुणभण्डार, नयर निरुपम दीपतं, जगि जाणीइ२ गन्धार १ वासि वसई विवहारीया, पुरूषरयण परधान, धन सम्पत्तिइं धनद किरि', लीलां इन्द्र समान २ तिहां जिनशासन गहगहई, उत्सव करई अपार, सुगुरूवयण नितु संभलई, भरइं सुकृतभण्डार. ३ गुरू उपदेस हीइ° धरई, करइ विमासण चिंति', पौषधशाल करावीइं, मनि अति आणइं खंति ४ ॥ राग -देसाख ॥ धुल' बन्ध ॥ खंति करी संधि मांडीयां काज, पौषधशाल बहु नीपजई१० ए, समरथ संघपति हंसराज चिंतवइ, ठाकुरसिंघ कुलमण्डणु ए ५ जाण सिरोमणि मानि दुरयोधन, दानि करण किरि अवतरिउ ए, हठि चडिउ जाणि कि रावण राउ, सन्त सरिसु ससि अभिनवु ए ६ ॥ त्रूटक ॥ अभिनवु ससि अमिरत्तधारी११, अंगि सारी बुधि वसइ, पौषद्धशाल कराविवा, गुणवन्त अणुदिण१२ उल्लसइ, पण काज जे मनि चितवइ ते अवर कोइ न जाणए श्रीसंघ कहइ संघपति जे पण अंगि आलस आणए आणए य आलस अंगि जइ एउ काज कवण समुद्धरइ, श्रीसंघ मनि आनन्द करिवा हंस संघपति खंति करइ ७ ॥ हवं राग - ककुभी धुल ॥ नाम प्रमाणि चडाविवा काजि, पोसालपायुओ१४ परठीउ१५ ए, तेड्या कबाडीय१६ अनइ सिलाट१७, निश्चल काम मंडावीउं ए ८ धसमस१८ पणई बइसारीइं ई(इं)ट, पीढनइं१९ काठ कपावीइं ए, सिहर कादी२० यदि वारए आण, प्राण२१ करइ य पोसालसिउं ए ९ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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