SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मार्च २०१० ।। त्रूटक ॥ पोसालसिउं करइ प्राण, संघपत्तिनइं हूउं जाण, कादी न मानइ जाम, हठि चडिउ संघपति ताम, हठि चडिउ संघपति जईय भेटिउ, खान क्षितिपति ताम, पोसाल चउपटपणि२२ करावी, जगि रहाव्यूं२३ नाम १० ॥ हवं - धनासी राग धुल ॥ मंडीउ खप तिहां अतिघणु ए, मुंकीउ ए निज बन्धव कामि, नामि मीनागर संघवई ए, पीढ बइसारीय विचित्र विसाल, सार२४ पटसाल करावीइं ए ११ खडकीय२५ जोयंता लागए खंति२६, चिंति चउसाल२७ ए ओरडा ए, थंभकुंभीसिरां२८ कोरणी चंग, अंग ऊलट करइं. आलीया२९ ए १२ ॥ त्रूटक ॥ आलीया ए ऊलट करई, धवलित भजई भीति३१ अपार, ओरडा पटसाल३२ सोहइ, चउक सीहदूयार२२, खडकी कमाडसु४ कोरणी, छाजासु३५ छाजई बारि, चित्राम३६ चिहपखि२७ जोयतां, आनंद रिदय मझारि, आनंद रिदय मझारि मनि, व्यापार बीजु छंडीउ, बन्धव बेटासिउं रही, पोसाल खप बहु मंडीउ १३ ॥ हवं राग - रक्तहंसा धुल ॥ धन धन तपागच्छ वडीय पोसाल, श्रीरलसिंघसूरि गणधरू ए, उत्तम श्रावक अनइ सुजाण, सुहगुरूवास हीइ वसइ ए १४ श्रीउदयधर्म उज्झांय तेडावीय, चतुर्मासि रहावीय रंग करइ ए, भगतिहिं वेचए वित्त अपार, सुजस रहावए३८ आपणु३९ ए १५ जस रहावइ आपणु, वेचइय वित्त अपार, श्री श्रीयमालशृंगार, ........... दरिसणहं दातार, संघपति हंसिहि निघुट करणी कराव्युं बहु रंगि, जोयतां भवीयण तणइ मनि ऊलट्ट माइ न अंगि १६ ऊलट्ट माइ न अंगि जिन श्रीवर्धमान प्रणामीइ, गुरु [उदयधर्म शिष मुकुन्द बोलइ, बोधिबीज सुपामीइ १७ ॥ इति सं. हंसराज पोसाल धुल बन्ध ।। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy