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मार्च २०१०
चातुर्मासने माटे वृद्धतपागच्छीय श्रीरत्नसिंहसूरिना शिष्य उदयधर्मने तेडावी चातुर्मास कराव्यानी अने अन्त्य गाथामां फरी वीरप्रभुने प्रणमी पोताना गुरुभगवन्तोने याद करी बोधिबीज पामवानी कवि वात करे छे. कर्तानो परिचय :
कर्ता मुकुन्द वृद्धतपागच्छनी शाखामां थयेल रत्नसिंहसूरिजीना (हस्त दीक्षित) शिष्य उदयधर्म गणिना शिष्य छे. उदयधर्मजी पोते समर्थ विद्वान हता. तेमणे सं. १५०७मां वाक्यप्रकाश औक्तिकनी, तथा उपदेशमाळानी ५१मी गाथा शतार्थी विवरण बनाव्युं हतुं. बीजा पण महावीरस्वामी स्तोत्र, उपदेशमालाकथानकछप्पइ आदि ग्रन्थोनी रचना करी हती. तेमना शिष्य कवि मुकुन्द विषे अन्य कोइ परिचय प्राप्त थतो नथी, परंतु तेमनी अन्य एक रचना "सा. भावलक्ष्मी धुल" नामनी प्राप्त थाय छे. जे आगळ प्रकाशीत करी छे. काव्यमा प्रयुक्त बे शब्दो :
काव्यरचनामां कर्ताए धुल - धवल नामना काव्य प्रकारनो आशरो लीधो छे. साथे राग तरीके देसाख, कुकुभी [धुल], रक्तहंसा [धुल], धनासी (धन्यासी) ने पसंद कर्या छे. अहीं खास तो कुकुभी [धुल], रक्तहंसा [धुल] आ बन्ने रागना बन्धारण शंहशे? ते केम गवाता हशे? ते शोधवा लायक वस्तु छे. पांच पंक्तिनुं काव्य :
कविए काव्य ११मां पांच चरण रच्या छे. तो शुं ते पांच चरणर्नु ज गेय काव्य छे ? के एक पंक्ति रही गइ हशे ? जो के कर्ताए अन्य एक रचनामां आज रीते ५ पंक्तिओ रची काव्य रच्युं छे. तेथी ५ चरण- काव्य मानवं योग्य जणाय छे. प्रत परिचय :
प्रस्तुत प्रत अमोने पालीताणा स्थित श्रीसाहित्यमन्दिर उपाश्रयना हस्तलिखित संग्रहमांथी प्राप्त थई छे. प्रत आपवा बदल मुनिराजश्री जयभद्रविजयजी म.सा. तथा साहित्यमन्दिरना व्यवस्थापकोनो खूब-खूब आभार.
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