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________________ डिसेम्बर-२००९ १५५ काव्यनी पाद (समस्या) पूर्तिरूप आ खण्डकाव्य एक अलङ्कारादिकाव्यगुणमण्डित प्रासादिक रचना छे. तेना परनी आ टीका साथे आ काव्य पूर्वे प्रकाशित थयेलुं छे. सम्भवतः आ तेनुं ज पुनः मुद्रण छे. पूर्व मुद्रण विषे कोई सूचना आ पुस्तकमां जडती नथी. टीकाकारनो अछडतो नामोल्लेख भूमिकामां जोवा मळे, ते सिवाय टीकाकारनो उपरणां वगेरे उपर थवो जोईए तेवो उल्लेख क्यांय जोवा मळतो नथी.सहज अनुदारता कहो के पछी आवी बाबतो विषे अनभिज्ञता कहो, जे कहो ते, तेथी ज आम बनवा पाम्युं होय ते स्पष्ट छे. परिशिष्टो सारां छे. पण ते पूर्वना प्रकाशनमांथी लेवायां छे के नवां कोईए तैयार कर्यां छे, ते जाणवायूँ कोई साधन आमा छे नहि. आधुनिक सम्पादन पद्धतिमां आवी विगतो पण घणुं मूल्य होय छे. अत्यारना मुनिवरोने अने अभ्यासीओने रस पडे तेवू प्रेरणादायक प्रकाशन. १०. जैन-तर्कभाषा ( सटीक) कर्ता : उपाध्याय श्रीयशोविजयजी गणि; टीका - १. 'रत्नप्रभा' - आ. विजयोदयसूरि, २. तात्पर्यसङ्ग्रहा' - पं. सुखलाल संघवी; सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजयः, प्र. जैन ग्रन्थ प्रकाशन समिति, खम्भात, ई. २००९ जैनतर्कभाषा आ पूर्वे वि.सं. २००७मां रत्नप्रभाटीका साथे प्रकाशित थई हती. ते प्रकाशनमा रहेली मुद्रणादि अशुद्धिओ, अव्यवस्थितता व. दूर करीने तेनुं पुनः सम्पादन करवामां आवेल छे. तेनी साथे सिंघी-सिरिझमां प्रकाशित तात्पर्यसङ्ग्रहा पण जोडवामां आवेल छे. उपयोगी परिशिष्टो, टिप्पणीओ, अन्य टीकाकारोना केटलांक प्रतिपादन परत्वे विचारणात्मक लेख व. पण मूकायेलां छे. जैनन्याय-प्रमाणशास्त्रमा प्रवेश माटेनो उत्तम ग्रन्थ अने तेनां रहस्यो समजवा माटेनी उत्तम टीकाओ. ११. सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनढुंढिका (भाग-२) सं. मुनिविमलकीर्तिविजय, प्र. कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवमजन्मशताब्दी स्मृति-संस्कारशिक्षण निधि - अमदावाद, ई. २००९ सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनां तमाम उदाहरणोना समासविग्रहसाधनिका व. समजावती टीकार्नु सम्पादन. जेना आ द्वितीय भागमां बीजा अध्यायना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520550
Book TitleAnusandhan 2009 12 SrNo 50
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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