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डिसेम्बर-२००९
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सर्जन जवल्लेज थाय छे, तेमां मुख्य कारण ए छे के आवां सर्जनो भरपूर निष्ठा, मेधावी प्रतिभा अने पुष्कळ शारीरिक श्रम मांगे छे. समय-संयोग-साधननी अनुकूलता पण जरूरी बने छे. बधो वखत कंइ आ बधुं उपलब्ध नथी थतुं, पण थाय छे त्यारे अनूठं सर्जन नीपजे छे.
आq ज एक महामूलु सर्जन एटले उपरना ४ दळदार सूचिग्रन्थो. मुनि श्रीविनयरक्षितविजयजीए ८ वर्षना परिश्रमथी आ अनुक्रमणिकाओ तैयार करी छे. चार ग्रन्थोमां कुल मळीने ६२६ ग्रन्थोना १,७७,००० श्लोको अकारादिक्रमे गोठवाया छे. ग्रन्थमा दरेक श्लोक- प्रथम चरण अने ते श्लोक जे ग्रन्थमां होय ते ग्रन्थनाम-श्लोकक्रमाङ्क नोंधवामां आव्या छे.
आ ४ सूचिओनो क्रमशः परिचय - १. आमां ४४ आगम-भाष्यादि गाथाओनी अनुक्रमणिका छे. पाछळ
'संवेगरंगशाला' ग्रन्थना श्लोकोनी स्वतन्त्र अनुक्रमणिका छे. २. ३७३ प्राकृतग्रन्थोनी गाथाओनी अनुक्रमणिका. ३. २०५ संस्कृतग्रन्थोना श्लोकोनी अनुक्रमणिका + 'लोकप्रकाश'
ग्रन्थनी स्वतन्त्र अनुक्रमणिका. ४. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रना तमाम श्लोकोनी अनुक्रमणिका + उपा.
श्रीयशोविजयजी रचित 'वैराग्यकल्पलता-वैराग्यरति' आ बे ग्रन्थोना
श्लोकोनी भेगी अनुक्रमणिका. आ चारे भागमां नीचे मुजबना छ परिशिष्टो छापवामां आव्या छ : १. ३७३ प्राकृतग्रन्थोनी अकारादिक्रमे कर्ता अने श्लोकसंख्या साथेनी
अनुक्रमणिका. २. २०५ संस्कृतग्रन्थोनी उपर मुजबनी अनुक्रमणिका. ३. उपरना ३७३+२०५ = ५७८ ग्रन्थोनुं विषयवार विभाजन
उपरना ज ५७८ ग्रन्थोनुं कर्तावार विभाजन ५. अष्टक, विंशिका वगेरे संख्यावाचक-शब्दोवाळु नाम धरावता
ग्रन्थोनी सूचि
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