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डिसेम्बर-२००९
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माहिती :
नवां प्रकाशनो
१. जैन आगमोमां आवतां प्राकृत विशेषनामोनो परिचयात्मक कोश : १, २ प्रका. : श्री १०८ जैन तीर्थदर्शन भवन ट्रस्ट, पालीताणा, ई. २००८
“Prakrit Proper Names - Vol. 1-2' नामे, डॉ. मोहनलाल मेहता अने डॉ. के. आर.चन्द्र द्वारा सम्पादित-संकलित, ला.द. विद्यामन्दिरनी ग्रन्थश्रेणिमां प्रकाशित सन्दर्भ-ग्रन्थनो डॉ. नगीन जे. शाह द्वारा थयेल गुर्जर अनुवाद. एक अत्यन्त उपयुक्त अने मूल्यवान सन्दर्भग्रन्थ गुजरातीमां उपलब्ध कराववा बदल अनुवादक अने प्रकाशक अभिनन्दनने पात्र ठरे छे. आगमविषयक केटलुक साहित्य, आ (अंग्रेजी) ग्रन्थना प्रकाशन पछीय, प्रकाशमां आव्युं ज होय. तेनो पण आवो (पूरक) कोश बने ते जरूरी छे. उपरांत, आगमेतर साहित्य पण विपुल मात्रामा उपलब्ध छे. तेमां आवतां नामोनो पण आवो कोश कोई करे तो इच्छवाजोग छे. अलबत्त, आ काम समूह-कार्य (Team-work) नी रीते ज थई शके.
२. श्रीजिनरङ्गसूरि-ग्रन्थावली, सं. महोपाध्याय विनयसागर, प्रका. : एम.एस.पी.एस.जी. चैरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर, ई. २००९
खरतरगच्छना आ. श्रीजिनरङ्गसूरिनो सत्ताकाल सत्तरमो शतक हतो. तेमणे रचेली भाषाबद्ध विविध लघु पद्यात्मक रचनाओनो संग्रह.
३. पुण्यचरितमहाकाव्यम्, कर्ता : पं. नित्यानन्द शास्त्री, सं. आ. विजय सोमचन्द्रसूरि, म. विनयसागर, प्रका. एम.एस.पी.एस.जी चैरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर, ई. २००८
२०मी शताब्दीमां विद्यमान खरतरगच्छीय साध्वीश्रीपुण्यश्रीनुं जीवन वर्णवतुं आ काव्य छे, जे वि.सं. १९६७ मां रचायुं होवानो प्रस्तावनामा उल्लेख छे. १८ सर्गमां पथरायेलुं आ काव्य छे. विविध परिशिष्टोथी आ काव्यग्रन्थ
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