________________
डिसेम्बर-२००९
१३९
कडी क्र.
अर्थ
सरज्यां
सरया अंतेवर नालीद्वीप
अन्तःपुर नालिकेरद्वीप गुफा
दरि
१०८
रेवडी
१०९ ११५ १२६
रेवणी कटीक विरों
ओहोलसो ऊत्म शक्र ठंडील ठार
१२६
१२७
१३३
१३४ १३५
वाटली भीति शल
कटक-सैन्य वैरी उल्लासो उत्तम शुक्र-वीर्य स्थंडिल (शुद्ध भूमि) रूप स्थान वर्तुलाकार-गोळ (?) भीत शल्य (सल्लं कामा, विसं कामा नो सन्दर्भ) 'लवसत्तम' नामनो देव-प्रकार ग्रैवेयक नामे देवलोक-प्रकार लेश्या चरबी ऊहापोह अशुभ विसर्जित थाव महत्त्व ९ लोकान्तिक, देवजाति विना नहि ले कृपण
१४०
१४२
१४२
सप्तलवी ग्रीवेय्य लेशा चर्ब अहीआपोह उशभ
१४६ १५१ १५२ १५३ १५६ १५९
वोशरे
मोहोत लोकांतिक व्यना नव्य लेह क्यरपीआं
१६०
१६५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org