SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डिसेम्बर २००९ पणि मली स्त्री आगलि अंतेवर हारइ | ते नारि तुंझ धरि नही तो स्यु छइ त्याहरइ ||१००|(१०१) | सूणता ईछ्या उंपनी नृप कर्यो वीचार । एक अद्भुत नारी भली मुझ कसी हजार ॥ १०१ ॥ (१०२) || कुडलीओ ॥ राय कहइ पटणि रहीइ कइ वनमांहि वास । एक मित्र राजा भलो कइ जोगीनो दास । कइ जोगीनो दास एक वरि सूदर नारी । कइ दरि लीजइ जाय छत्र एक कइ व्यापारी । सोईइ सोवन - ढोलीइ कइ भुडी भोमिज ग्रहीइ । मंदीर केअ मसाण, राय कहइ पटणि रहिइ ||२| ( ३ ) || ॥ चोपई ॥ वसीइ म्होटा नगर मझारि धरणि तोह अनोपम नारि । अस्यु चीतवी राजा त्याहिं दूत पाठव्यो मीथलामांहि ||३ | (४) ॥ छइ दुत मल्या तेणइ ठाय समकालिं वीनवीओ राय । पुत्री मागइ जुजूआ राय कुंभरायनई चढ्यो कषाय ||४| ( ५ ) || वर कन्यानिं मागइ जेह अधम पूरष जगि कहीइ तेह | काढी मोकल्या सघले दूत छइ रायनिं वलगां भुत ॥५॥ ( ६ ) ॥ हडसेल्या हाक्या दूतडा वल्यां सोय भइरव भुतडा । पोताना राजानं मलइ करइ वात घणु कलकलइ ||६ ॥ ( ७ )।। नरपति नारि कथा मुकीइ कन्यानही पणि गाल्यो दीइ । छइ दूतनिं कर्या फजेत नवि साखइ नर जेह सचेत ||७|(८)|| सुणि वचन नृप खीया त्याहि दूत मोकल्या माहोमाहि । आपणि जावुं मिथला भणी कुभ तणइ करस्यु रेवणी ||८| ( ९ ) || कटीक सज छइ त्याहा करइ मीथला उपरि ते संचरइ । आवी वीट्यों नगरी - कोट कुंभराय परि देता डोट || ९| (१०) || कुंभराय करइ संग्रांम छइ राय दल झूझइ ताम । वढता कुभ न चांलइ जसिं भंडी पोलि गढम्हा रह्यो तसि || १० | (११)।। Jain Education International १२१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520550
Book TitleAnusandhan 2009 12 SrNo 50
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy