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'अनुसन्धान 'मां रस लेता सुज्ञ जनोने विज्ञप्ति
आपना हाथमां आ ४९मो अंक छे. ई. १९९२-९३ थी शरु थयेली आ अनुसन्धान-यात्रा हवे ५० मा मुकाम पहोंची रही छे. एकले हाथे आ यात्रा चालु राखवामां कठिनाई जरूर छे, परन्तु स्वाध्यायनो आनन्द तेथी घणो अधिक होय छे.
आगामी अंक ५०मा अंक तरीके छपाशे. सुज्ञ जनोने, मुनिवरोने तथा देश - विदेशना विद्वानोने निवेदन के ५० मा अंक माटे आप यथाशीघ्र आपना शोधलेख, सम्पादित अप्रकट प्राचीन रचनाओ वगेरे पाठवजो. जो आपने आ पत्रिका गमती होय, आमां रस पडतो होय, तो अवश्य सामग्री मोकलजो. सामग्री मोकलवानी समयमर्यादा डिसेम्बर २००९ रहेशे.
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