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________________ जून २००९ ६३ की रानी का नाम भी सरस्वती के रूप में उल्लेखित है, किन्तु भगवतीसूत्र के नवम शतक में उल्लेखित जिनवाणी के साथ इसका कोई साम्य नहीं देखा जा सकता है । यह तो केवल एक सामान्य स्त्री है । यहाँ मात्र नाम की समरूपता ही है । स्थानांगसूत्र में भी गन्धर्वो के इन्द्र गीतरति की पत्नी का नाम सरस्वती उल्लेखित है, जो भगवतीसूत्र के १० वें शतक के उल्लेख की ही पुष्टि करता है। इन आधारों पर हम इतना ही कह सकते हैं कि अर्धमागधी आगम साहित्य में प्रारम्भ में सरस्वती का उल्लेख मूलतः जिनवाणी या श्रुत के विशेषण के रूप में ही हुआ है । यद्यपि अर्धमागधी आगम साहित्य में 'नमो सयदेवयाए भगवईए' इतना ही पाठ है। किन्तु यह श्रुतदेवता सरस्वती रही होगी, ऐसी कल्पना की जा सकती है क्योंकि भगवतीसूत्र (९/३३/१४९ तथा १६३) में सरस्वती-जिनवाणी के एक विश्लेषण के रूप में उल्लेखित है । सर्वप्रथम जिनवाणी रूप श्रुत (सुय) को स्थान मिला और उसे 'नमो सुयस्स' कहकर प्रणाम भी किया गया । कालान्तर में इसी श्रुत के अधिष्ठायक देवता के रूप में श्रुतदेवी की कल्पना आई होगी और उस श्रुतदेवी को भगवती कहकर प्रणाम किया गया । किन्तु यह सब एक कालक्रम में ही हुआ होगा। श्रुत से श्रुतदेवता और श्रुतदेवता से सरस्वती का समीकरण एक कालक्रम में हुआ होगा । इसी क्रम में श्रुतदेवता को भगवती विशेषण भी मिला और इस प्रकार श्रुतदेवी को भगवती सरस्वती मान लिया गया । ज्ञातव्य है कि 'भगवती' और 'भगवान' शब्द का प्रयोग भी अर्धमागधी आगम साहित्य में मात्र आदरसूचक ही रहा है वह देवत्व का वाचक नहीं है । क्योंकि प्रश्नव्याकरणसूत्र में अहिंसा को 'भगवती' (अहिंसाए भगवईए) और सत्य को 'भगवान' (सच्चं खु भगवं) कहा गया है । यहाँ ये व्यक्तिपरक नहीं मात्र अवधारणाएँ हैं । अतः प्राचीन काल में भगवती श्रुतदेवी भी मूलतः जिनवाणी के रूप में मान्य की गई होगी । यहाँ 'नमो' शब्द भी उसके प्रति आदर भाव प्रकट करने के लिए ही है - क्योंकि ऐसा आदरभाव तो 'नमो बंभीए लिवीए' कहकर ब्राह्मी लिपि के प्रति भी प्रकट किया गया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520548
Book TitleAnusandhan 2009 07 SrNo 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages90
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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