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________________ f मार्च २००९ आ चौपाईना अन्ते प्रशस्ति छे. तेमां साधुकीर्ति अने साधुसुन्दर एम बे नाम आवे छे. तेओ श्रीजिनभद्रसूरिनी शाखामां पद्ममेरु- मतिवर्द्धन - मेरुतिलकदयाकलश-अमरमाणिक्य- तेमना शिष्य साधुकीर्तिगणि छे. तेमना शिष्य साधुसुन्दर छे. तेमां साधुकीर्तिगणिए संघपट्टक उपर अवचूरि ( प्राकृत शब्दोना समसंस्कृत शब्दोना संग्रहस्वरूप) तेमज सत्तरभेदी पूजा रची छे. ज्यारे साधु सुन्दर गणिए उक्तिरत्नाकर, धातुपाठ उपर धातुरत्नाकर, जेसलमेर दुर्गस्थ पार्श्वनाथ स्तुति इत्यादिनी रचना करी छे. आ चौपाई राजस्थानी भाषामां छे. चौपाईमां १२ ढालो छे. तत्र १ ढाल - २२ गाथा, २- २५, ३-१७, ४-३२, ५-२९, ६-२०, ७-२६, ८-२१, ९ १९, १० - २०, ११-१६, १२-१५ एम २६६ गाथा छे. आ ढाल केवी रीते गाई शकाय तेनी जाण माटे ग्रन्थकर्ताए जूनीप्रचलित देशी ढालनी प्रथम पंक्ति मूकी छे. आना उपरथी ग्रन्थकर्ता संगीतशास्त्रना जाणकार तेमज साहित्यरसिक हशे एवं अनुमान करी शकाय छे. आ चौपाईमां शिवमुनि, सुव्रतमुनि, धनमुनि, जोनकमुनि तेमज अभयकुमारनुं संक्षिप्त जीवन दर्शन करवामां आव्युं छे. तत्र प्रथम ढाल - श्रेणिकमहाराजा भगवंतने पोतानी गति विषयक प्रश्न पूछे छे. तेना जवाबमां वीरप्रभु श्रेणिकराजाने नरकगति, तेना निवारणरूप कपिलादासी दान आपे, कालसौकरिक पाडानो वध न करे एम जणावे छे. त्यारबाद भावि प्रथम तीर्थंकर थशे- इत्यादि वर्णन करायुं छे. २७ द्वितीय ढाल - श्रेणिक महाराजाना समकितनी परीक्षा माटे देव गर्भवती साध्वीजीनुं रूप धारण करे छे, छतां पण श्रेणिकराजा वन्दन करे छे. देव प्रत्यक्ष थई २ गोला अने एक हार भेट रूपे आपे छे. श्रेणिकराजा चेलणादेवीने हार अने सुनन्दादेवीने २ गोला भेट आपे छे - इत्यादि वर्णन छे. त्रीजी ढाल - राजा अभयकुमारने आदेश करे छे- चेलणादेवीना खोवायेला हारने सात दिवसमां शोधी लाव अन्यथा सजा थशे. तपास करवा छतां हार मळतो नथी. अन्ते सातमा दिवसे आठम होवाथी पौषध करे छे. ध्यानस्थ सुस्थितसूरिजीना कंठे हार देखी शिवमुनिना मुखमांथी 'भय' एवं वचन नीकले छे. इत्यादि. Jain Education International - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520547
Book TitleAnusandhan 2009 00 SrNo 47
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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