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श्रीकीर्तिसुन्दरगणिकृत अभयकुमार चौपाई
सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय
खरतरगच्छीय श्रीजिनभद्रसूरिजीनी शाखामां आवता, कान्हजीना उपनामथी प्रसिद्ध एवा श्रीकीर्तिसुन्दरगणिए संवत १७५९मां जयतारणिपुर नामना गाममां श्रीजिनचन्द्रसूरिजीनी निश्रामां आ चौपाईनी रचना करी छे. आ चौपाई अद्यावधि अप्रकाशित छे. खरतरगच्छमां आजे जे साहित्य उपलब्ध छे, तेना कर्ताओमां महाकवि जिनहर्षगणि, समयसुन्दर उपाध्याय, गुणविनय उपाध्याय, धर्मवर्द्धन उपाध्याय - आ नामो मुख्य छे. तेमांना धर्मवर्द्धन उपाध्यायजीना शिष्य कीर्तिसुन्दरगणिए आ रचना करी छे. आ ग्रन्थना कर्ता जिनभद्रसूरिजीनी परम्परामां आवता विमलकीर्तिगणि विजयहर्षगणि धर्मवर्द्धन उपाध्यायजीना शिष्य छे. तेओ द्वारा रचित साहित्यनी टूंकी नोंध खरतरगच्छ साहित्यकोशना आधारे आ प्रमाणे छे :
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विमलकीर्तिगणि- दशवैकालिकसूत्र स्तबक, उपदेशमाला स्तबक, कल्पसूत्र टीका सामाचारी, चन्द्रदूत (मेघदूतनी पादपूर्ति), जय तिहुअण स्तोत्र बालावबोध, पदव्यवस्था बालावबोध, बारव्रत रास, यशोधर रास, श्रेणिक चौपाई, इत्यादि.
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विजयहर्षगणि- अढी द्वीप स्तवन, गोडी लोद्रवा पार्श्वजिन स्तवन.
धर्म्मवर्द्धन उपाध्याय- अमरकोश टीका, जिनस्तवन चोवीशी, अमरसेन वयरसेन चौपाई, भिन्न भिन्न स्तोत्र, दृष्टान्त छत्रीसी, विशेष छत्रीसी, दम्भ क्रिया चौपाई, दशार्णभद्र चौपाई, प्रश्नमय काव्य, व्याकरणसंज्ञा स्तोत्र, समस्यामय स्तोत्र, अनेक पार्श्वनाथ स्तोत्र इत्यादि.
अनुसन्धान ४७
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कीर्तिसुन्दर गणि- अवन्ती सुकुमाल चौढालिया,
कल्पसूत्र टीका
कल्प सुबोधिका, मांकडरास, ज्ञानछत्रीसी, कौतुक पच्चीसी, वाग्विलासकथा संग्रह, फलोधी पार्श्वनाथस्तवन
इत्यादि.
१. महो० विनयसागरजी सम्पादित
खरतरगच्छ साहित्यकोश.
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