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________________ ८४ अनुसन्धान ४६ सती क. ३२ निरला निरता क. ४४ समी 'लोहमहत्थो' (क. ९)नुं मूळ 'लोमहस्त' छे. पूंजवा माटेनुं रूंछादार सुकोमळ उपकरण-मयूरपिच्छ अथवा कोई सुंवाळा घासमांथी बनाववामां आवे छे ते. क. १९ मां 'मोरी' छे, तेनो अर्थ 'धरिये' न थई शके. 'मोरी' वाचनभूलथी के लिपिकारनी भूलथी थयुं हशे- 'चोरी[ये]' जेवो कोई शब्द अहीं होइ शके. 'वाहिया'-'धरनारा' नहि पण 'खंचायेला-तणाता' एवो अर्थ थाय. 'सम्यक्त्व स्तवन' शुद्ध रूपे छपायुं छे- अर्थात् तत्कालीन भाषास्वरूप जाळवीने सम्पादित थयुं छे. 'धरणविहार चतुर्मुख स्तव' रसाळ अने महत्त्वपूर्ण कृति छे. सम्पादकश्रीए कृतिनो सारांश, पूर्वापर परिचय, पूरक विगतो पोतानी आगवी शैलीए आप्या छे. क. २९ : 'पावडिया रांउलि' छे त्यां 'पावडियारी ओलि' पाठ होवा सम्भव. क. ३० मां 'तेहजा मलि' छे, तेने बदले 'तेह जामलि' वांचq जोइए. _ 'पितर' (पितृ) विषे जैन-वैदिक परम्परानी मान्यता विषेनो अभ्यासलेख रसप्रद छे. _ 'ज्ञानमंजरी'नी प्रस्तावना रूपे लखायेलो शीलचन्द्रसूरिजीनो लेख ए टीका, रसदर्शन-स्वरूपदर्शन सुपेरे करावी जाय छे. श्रीमद देवचन्द्रजीनी आ टीकामां मूळ ग्रन्थना पाठभेद अने तेना कारणे अर्थभेद आव्यो छे, तेनां बेत्रण उदाहरणो लेखके चलूं छे. मूळ ग्रन्थकारे स्वोपज्ञ टबामां अर्थ आप्यो ज होय त्यारे तेनाथी भिन्न अर्थ करवामां औचित्य केटलुं ? एम करवू ज होय तो पण, ग्रन्थकारने अभिप्रेत अर्थ बताव्या पछी एम करी शकाय. श्रीमद् एवं औचित्य चूके नहि. आथी एक सम्भावना एवी पण कल्पी शकाय के स्वोपज्ञ टबो श्रीमद्ना हाथमां त्यां सुधी कदाच आव्यो न होय, अने तेथी ज टीका रचवा तेओ प्रेराया होय. अलबत्त, ए निर्णय पर आववा माटे टीकार्नु आन्तर-बाह्य परीक्षण तथा अन्य तथ्योनी गवेषणा करवां पडे. लेखक- ए विधान के 'ज्ञानमंजरी ए केवल टीकाग्रन्थ न बनी रहेतां ते श्रीमद्जी, आगq सर्जनकार्य छे' ते निर्विवाद छे. जैन देरासर, नानी खाखर-३७०४३५, कच्छ, गुजरात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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