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________________ अनुसन्धान ४६ आप ही व्रत-नियम की धारणा कर आरम्भ-समारम्भ व. का त्याग कर देता था। आगमों में ऐसे उल्लेख पाए जाते हैं कि श्रावकों ने किस तरह परिग्रह-आरम्भादि का त्याग कर व्रत ग्रहण किए थे । भगवान के पश्चात् काल में जब जैन कुल बढने लगे तो उन्हें कर्मादानों के त्याग का उपदेश देना आसान था क्योंकि वे जन्म से ही जैन थे - अहिंसा को समझते थे । फलतः उपदेश पाकर कर्मादानों का त्याग कर देते थे । इसलिए - भगवान महावीर के जीवनकाल में पन्द्रह कर्मादानों की मान्यता प्रचलित नहीं थी - ऐसा कहना उचित नहीं है। अतिचार के सन्दर्भ में यह समझना जरूरी है कि - सामायिकादि व्रत में लगे अतिचारों का प्रतिक्रमण कर देने से हम दोषों से निवृत्त हो सकते हैं - लेकिन किन दोषों से ? - जो दोष अनाभोग से - अनजाने में हुआ हो उसी दोष से निवृत्त हो सकते हैं । जो दोष जानबूझकर किया गया हो उसकी निवृत्ति नहीं हो सकती, वह तो व्रतभंग ही है । उसका . तो प्रायश्चित ही लेना पडता है ।। उसी तरह कर्मादानों के विषय में भी - व्रत लिए हुए किसी व्यक्ति ने अपनी मति से उसका अर्थघटन कर कर्मादानों का सेवन कर दिया - अर्थात् अतिचार लगा दिया तो उसका शोधन प्रतिक्रमण से हो सकता है - वह भी तब - यदि वह प्रतिक्रमण करने के बाद फिर से उसी दोष का सेवन न करे । यदि कोई जानबूझकर कर्मादानों का सेवन करता हो तो वह उसका व्रतभंग ही है । उसकी निवृत्ति प्रतिक्रमण से नहीं हो सकती । दुसरी बात यह समझने योग्य है कि - जो व्यक्ति अपना पीढियों से चलता व्यवसाय न छोड पाए - वह भी यदि रोज़ रोज़ प्रतिक्रमण करता रहे तो उसके चित्त में यह परिणति बनती जाएगी कि - मैं जो कर रहा हूं वह गलत है - मुझे उसे छोडना चाहिए । ऐसे एक दिन उसका चित्त दृढ हो जाएगा तब वह अवश्य उस व्यवसाय हो छोड देगा । इसलिए - बहुत सारे कर्मादानों को अतिचार के रूप में लेने से अडचनें पैदा होती है - उन्हें सुलझाने का दिग्दर्शन श्रावकाचार से नहीं मिलता, ऐसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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