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________________ अनुसन्धान ४६ 'अष्टापद' नामना चैत्यनी तेमना हाथे प्रतिष्ठा थइ. तेमणे ज आचार्यश्रीने 'शान्तिनाथ चरित्र' बनाववानी विनन्ति करी हती. [जैन परं.नो इतिहास भा.२, पृ. ४५८] प्रस्तुतसम्पादनमां अमे २ हस्तप्रतोनो उपयोग कर्यो छे. हस्तप्रत (१) धर्मोपदेशमाळा टीकान्तर्गत - आ ताडपत्रीय प्रत पाटण - संघवी पाडाना भण्डारमा छे. प्रस्तुत कृति खण्ड २ ग्रथान्क ८९मां पत्र ४५३ A थी ४७६ B मां लखायेल छे. प्रत अशुद्ध छे. तेने अमे ता० एवी संज्ञा आपेल छे. (२) विविधकथासंग्रह - आ प्रत पाटण-हेमचन्द्राचार्य भंडारनी अन्तर्गत लींबडीना पाडाना भण्डारनी छे. प्रत क्रमांक ४००१ छे. एक ज लेखके आ संपूर्ण प्रत लखी हशे. परंतु तेमां ले.सं. वगेरे नोंध थयेल नथी. कदाच आ कथासंग्रहनी अन्य कथाओ पण मुनिदेवसूरिजीनी रचना होई शके. कारण आ कथासंग्रहना दृष्टान्तो धर्मोपदेशमाळाकारे ते ते श्लोकमां मूक्या छे. आ प्रतनी पत्र संख्या ३३ छे. अक्षर सुवाच्य छे. प्रत शुद्ध छे. ते प्रतने अमे का० ओवी संज्ञा आपेल छे. कथासंग्रहनी कथाओनी नोंध : क्रम कथा नाम श्लोक पत्र धर्मोपदेशमाळामां संख्या आवता ते-ते दृष्टान्तनो श्लो. नं. वंकचूलकथा (सं.) १०९ / १-५B अभयाभ्युदयमहाकाव्य (सं.) | २०१ /4B-१४B ५२ सुभद्राकथा (सं.) ६१ १५A-१६B दमदत्तकथा (सं.) २३ १६B-१८A दत्तशंखायनकथा (?) (सं.) ७५ १८A-२१A ८ (?) चन्दनबाळा कथा (सं.) १२२ २१A-२५A ईलापुत्रकथा (सं.) ३६ २५A-२६A ८. कूरगडु कथा (सं.) ६८ R६A-२९A भरतकथा (सं.) २६ २९A-३०A काष्ठमुनिकथा (सं.) ३०A-३१A ११. चातुर्मासिकनियमकथा (प्रा.?)| |आ कथा मूळमां क्याय मळी नथी. ३१B-३३BI Jamॐ 3 2. २६ , ८४ 2 ५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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