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________________ डिसेम्बर २००८ 'धर्मोपदेशमाळा' ग्रन्थ उपर समयान्तरे त्रण टीकाग्रन्थो रचाया छे. (१) धर्मोपदेशमाळा-विवरण - आ ग्रन्थ उपर कर्ताओ पोते ज विवरण प्राकृतभाषामां कयुं छे. टीकाग्रन्थ- श्लोकप्रमाण ५७७८ छे. कर्ताओ सं. ९१५ मां भादरवा सुद ५, बुधवार, स्वातिनक्षत्रमा राजा भोजदेवना राज्यमां नागोरजिनालयमां आ विवरण पूर्ण कर्यु छे. प्रस्तुत ग्रन्थ- सम्पादन सिंघी जैन शिक्षापीठ-भारतीयविद्याभवन-मुंबईमांथी (पुरातत्त्वाचार्य) जिनविजयजीओ वि.सं. २००५मां प्रकाशित कर्यु छे. (२) धर्मोपदेशमाळा-विवरण - प्रस्तुत विवरण हर्षपुरीयगच्छना हेमचन्द्रसूरिजीना पट्टधर विजयसिंहसूरिजीओ वि.सं. ११९१ मां सिद्धराज जयसिंहना राज्यमां बनाव्युं. तेमणे प्रथम विवरणनी कथाओनो विस्तार को छे. प्राकृतभाषामां रचायेल वृत्तिनुं श्लोकप्रमाण १४४७१ छे. अप्रकाशित आ ग्रन्थनी ताडपत्रीय पोथी पाटण तथा पूना (भाण्डारकर शोधसंस्थान)मां छे. (३) धर्मोपदेशमाळा-वृत्ति - बृहद्गच्छमां वादी देवसूरिजीनी परम्परामां मदनचन्द्रसूरिजीना शिष्य मुनिदेवसूरिजीओ संस्कृतभाषामां ६८०० श्लोक प्रमाण वृत्ती रची. वि.सं. १३२२नी आसपास रचायेल प्रस्तुत वृत्तिनुं देवानन्दसूरिजीना शिष्य कनकप्रभसूरिजीना शिष्य प्रद्युम्नसूरिजीओ संशोधन कर्यु हतुं. अप्रकाशित आ संपूर्ण कृतिनी ताडपत्रीय पोथी पाटणमां छे. कागळ उपर लखेल प्रति छाणी, लिंबडी, वडोदरा-हंसविजयजी संग्रह, पंजाब संग्रह (?), पाटण, सुरतजैनानन्द वगेरे ग्रन्थालयोमा होवानुं जिनरत्नकोशकारे नोंध्युं छे. 'अभयाभ्युदयमहाकाव्य' आ टीकाग्रन्थनो ज एक अंश छे. वृत्तिकार - मुनिदेवसूरिजीना जीवन विषे वधु कोई नोंध उपलब्ध नथी. तेमणे सं. १३२२मां शान्तिनाथ चरित्र रच्यु. आ चरित्र तेमणे पूर्णतल्लगच्छना आ. देवचन्द्रसूरिजीओ सं. ११६० मां रचेल १२१०० श्लोक प्रमाणना 'संतिनाहचरिय'ना संक्षेपरूपे बनाव्युं हतुं. अप्रकाशित आ कृतिनी हस्तपोथीओ छाणी, भण्डारकर इन्स्टिट्यूट, लींबडी, जेसलमेर, पाटण वगेरे ग्रन्थालयोमां छे. तेमणे राजगच्छना आ. प्रद्युम्नसूरिजीओ रचेल 'प्रव्रज्याविधान'नी वृत्तिनी प्रथम प्रत लखी हती. पोरवाल शा. शक्तिकुमारना पुत्र आसाहीना कल्याण माटे तेमनी पत्नी शिवादेवी अने पुत्रो वोसिरि, साढल, सांगो, पुण्यसिंहे बनावेल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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