SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डिसेम्बर २००८ अभयाभ्युदयः महाकाव्य के सकलकथा - काव्यसाहित्यना भेदादिनी वात हेमचन्द्राचार्य महाराजे 'काव्यानुशासन' ग्रन्थमा जणावी छे. ते संपूर्ण वात न करता मुख्य वात ज करीओ तो महाकाव्य - एक नायकने के तेना कुळने सामे राखी छन्दविशेषथी रचायेल, सर्गबद्ध, संस्कृतादिभाषानिबद्ध, कविसमय- पालन करता शब्दवैचित्र्यादिलक्षणयुक्त जे दीर्घ रचना ते महाकाव्य, जेवा के रघुवंशमहाकाव्य, बुद्धचरित्रादि. ___ सकलकथा - महाकाव्यनी जेम नायकना पूर्णजीवननु मात्र वर्णन होय. जेवा के समरादित्यचरित्र, वस्तुपालचरित्रादि. डो. गुलाबचन्द्र चौधरी जैन साहित्यनो बृहद् इतिहास (भा.६ पृष्ठ २३)मां जणावे छे के 'जैनोना अधिकांश चरित्रकाव्यो आ प्रकारमा (सकलकथामां) समावेश पामे छे.' छतां कर्ताओ काव्यना दरेक सर्गना अन्ते "इति अभयाभ्युदयनाम्नि महाकाव्ये" ए शब्दो मूक्या छे. वळी मात्र कथा तरफ लक्ष न आपता काव्यने सर्गबद्धता, छन्दोवैविध्य, ऋतुवर्णनादि केटलाक गुणो पण आप्या छे. तेथी आ कृतिनो समावेश उपरोक्त बे पैकी कया प्रकारमा थई शके ते निर्णय विद्वानो ज करी शके. अभयाभ्युदयः अवलोकन - कर्ताओ अभयकुमारना जीवननी घणी घटनाओने कुल सर्ग ४, श्लोक २०१ नी अंदर गुंथवानो सुन्दर प्रयत्न कर्यो छे. साथ-साथे - अभयकुमारनी माता नन्दाना दोहदनी पिता राजा द्वारा करावेल पूर्ति (सर्ग १, श्लोक १८), अभयकुमारना लग्न (१/४०), चेटकराजानी पुत्री सुज्येष्ठाना स्थाने चेल्लणानुं हरण (२/२), कपट करी वेश्या द्वारा अभयने प्रद्योत पासे लाववो (२/४) प्रद्योत पासेथी मळेल ४ वरदाननी समकाळे थयेल मांगणी पूर्ण न थता अभयकुमारनी मुक्ति (२/६५) जेवा केटलाक प्रसंगोनुं संपूर्ण वर्णन न करता श्लोक के श्लोकार्द्धथी अंगुलिनिर्देश करवानुं पण कर्ता भूल्या नथी. वळी - आ ज कृतिनी समकाळे रचायेल चन्द्रतिलक उपा. कृत अभयकुमारचरित्रमहाकाव्यमां आवता - सुलसाना ३२ पुत्रनी कथा, कुणिक, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy