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________________ Jain Education International क्रम | कृतिनाम ८. | पार्वाभ्युदय | ९. | देवानन्दाभ्युदय For Private & Personal Use Only १०. खीमसीसौभाग्याभ्युदय' ११. पुण्यानन्दाभ्युदय विजयानन्दाभ्युदयकाव्य १३. | नेम्यभ्युदय कर्ता र.सं./काळ कृतिविषय जिनसेनाचार्य (दिगं.) पार्श्वनाथ भगवानने थयेल उपसर्गनुं वर्णन मेघदूतनी समस्यापूर्ति मेघविजयजी उपा. वि.सं. १७२७ | विजय देवसूरिजी (तपा.) म. नुं जीवन (खर.) शिशुपालवधपादपूर्ति | रत्नकुशल (तपा.) वि.सं. १६५० । मंत्री क्षेमराजना पुण्यकार्यनुं वर्णन पुण्यानन्दसूरि (?) | (?) अनेक महापुरुषोनुं जीवन २०मी सदी आत्मारामजी म.नुं जीवनचरित्र उदयसूरिजी म. । २० मी सदी | पू. शासनसम्राट् नेमिसूरिजी म.नुं जीवन अपूर्णकृति १. 'खीमसीसौभाग्याभ्युदय' काव्यनी कोबा संग्रहनी प्रतिनी नकल अमे करेल छे जे वहेली तके पूर्ण करवानी भावना छे. परंतु ते ग्रन्थना सर्ग १ ना श्लोक १ थी ५८ (पत्र १ थी ५) न होई अन्य हस्तप्रतनी आवश्यकता छे. २. 'पुण्यानन्दाभ्युदय' काव्य प्रेसमेटर पू.आ.म.श्री मुनिचन्द्रसूरिजी म. साहेबे तैयार करेल छे. www.jainelibrary.org अनुसन्धान ४६
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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