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मार्च २००८
सूत्रनो अनुवाद जे रीते सरल - सुबद्ध थयो छे तेमां कर्तानी विद्वत्ता तथा मौलिकता जणाई आवे छे.
म. विनयसागरजीए केटलीक लघु कृतिओ विस्तृत भूमिका साथे सम्पादित करी छे. नानी छतां नोंधपात्र विगतो आवी प्रकीर्ण रचनाओमांथी मळी आवती होय छे तेथी आवी लघुकृतिओ पण मूल्यवान बने छे. कृतिओना पाठमां वाचनभूलो रही छे. नेमिनाथ भास-१, कडी ६मां 'हम बिलवति' छे, पण अहीं 'इम बिलवति' होवू घटे. भास-२ मां क. ३ - 'मुदि' नहीं पण 'मुझ', क.६ मां 'सोच न' नहि पण 'सोवन' वांचवें जोइए. उल्लेख सोनानी जीभनो छे. क. ७ मां 'मुख' नहि पण 'सुख' जोइए.
___'अनन्तहंस गणि स्वाध्याय'मां क.५ मां 'माण' शब्द बे वार छे ते एक वार ज होवो जोईए, लहियानी भूलथी बे वार लखायो हशे. क. ७मां 'सय संवय' छे त्यां 'सय' लहियानी भूलथी वधारानुं लखायुं छे. सम्पादके आवा निरर्थक पाठो नक्की करी दूर करवाना होय छे. विजयदानसूरिभास -
अशुद्ध कखाय
कषाय क.१३ परख यो
परखयो क.१६ नडियाइ
नडियाद जय
(वधारानुं छे.) क.२२ बहु रसि
वहुरसि (वहोरशे) क.२३ विण जु
विणजु (वाणिज्य) क.२८ रेवाणउत्र
रे वाणउत्र ! दानलक्षण अथवा दानशासन नामक संस्कृत रचना रसप्रद छे. आमां दानना आठ प्रकार दर्शाववामां आव्या छे. आठ प्रकारोनी सूचि जेमां छे ते छठ्ठो श्लोक ह.प्र.मां भ्रष्ट रूपे लखायो छे. आ श्लोक आम होवो घटे -
शुद्ध
क.८
क.१९
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