SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२ सुभट स्वाध्याय सं. उपा. भुवनचन्द्र सज्झाय (स्वाध्याय) नामनो गुजराती काव्यप्रकार जैन साहित्यमां प्रसिद्ध छे. जैन ज्ञानभण्डारोमां आ प्रकारनी हजारो रचनाओ मळे छे. आवी एक अज्ञातकर्तृक सज्झाय अहीं प्रस्तुत छे. रचना पंदरमा-सोळमा सैकानी जणाय छे. सज्झायना सैकावार स्वरूपना नमूना तरीके आ रचना रसप्रद छे. 'भरहेसर ० ' प्राकृत सज्झाय प्रसिद्ध छे. अनु० ३९मां 'मुनिमाला' नामक कृति छपाई छे, ते पण 'सज्झाय' छे. प्रस्तुत 'सुभटस्वाध्याय' मुनिमालानी शैलीनी प्राचीन गुजराती रचना छे. छन्द चोपाई छे. सज्झायनो विषय महामुनिओना गुणकीर्तननो छे. कविए महामुनिओने 'पराक्रमी योद्धा'ना रूपमां वर्णव्या छे. मोह, कर्म, परीषह, विपरीत संयोगो वगेरेनी सामे लडीने आ महापुरुषो विजेता बन्या छे. 'सुभट'नी कल्पना स्वीकारवाथी महासती-महासाध्वीओने कवि सज्झायमां स्थान आपी शक्या नथी. एक एक कडीमां एक एक महापुरुषना नामोल्लेख साथे एमना पराक्रमनुं अहोभावपूर्ण संक्षिप्त चित्रण करवामां आव्युं छे. सज्झायमां वारंवार 'जोइ न...' शब्दगुच्छ आवे छे. एनो अर्थ छे : जोने, जुओ ने आना द्वारा कविए ए महानायकोना प्रराक्रम तरफनो आश्चर्यभाव सुन्दर रीते व्यक्त कर्यो छे. प्रथम बे कडीनो भावार्थ : अनुसन्धान-४१ "जिनशासनमां जे सुभटो छे तेमनुं हूं हवे प्रगट वर्णन करीश, जेमणे कर्मनुं नामनिशान मिटावी दीधुं अने शिवपुरीमां जइने वस्या. " "जिनशासनमां स्थूलभद्र योद्धा छे - तेमनुं युद्ध खरेखर दोह्यलुं आकरं हतुं; मदनने मारीने जेमणे वेश्याने प्रतिबोध पमाड्यो. " शब्दो विशे नीठविउ (१) : राउत (३) : सरदार ( राजपुत्र) सुधू (सुध ?) (४) : खबर, समाचार Jain Education International नाश कर्यो, अन्त आण्यो For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520541
Book TitleAnusandhan 2007 10 SrNo 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages70
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy