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________________ १६ वइसाह - पडिवयाए सिणाए दसहिं मुणिसएहिं समं । सम्मेयम्मि विमुक्कोसि सेसकम्मेहिं देहि सुहं ॥ ८ ॥ अनुसन्धान- ४० सिरि अरणाह - थुत्तं सिरिअरनाह ! नमो ते भवियाणमणुग्गहिक्कबुद्धीए । फग्गुण - सिय- बीयाए सव्वट्ठाओ चुओ तंसि ॥ १ ॥ नागपुरंमि सुदंसण - देवीणं मग्ग-सुद्ध-दसमीए । तीसधणूसिय जाओसि नंदवत्तंक कणयपहो ॥२॥ इगवीस - वास - सहसा पत्तेयं कुमर- मंडलिय-चक्की | मग्गसिर-सेय-इक्कारसीइ छट्ठेण सहसंबे || ३ || नर - सहसेण गिहाओ नीहरिओ परदिणम्मि परमन्त्रं । अवराइयाउ पत्तो अह तिहिं वरिसेहिं तम्मि वणे ||४|| नाणं कत्तिय - सिय- बारसीइ आसाइउं तए विहिया । गणहारी तेत्तीसा साहू पन्नाससहसा य ॥५॥ अजाण सट्ठि - सहसा भत्ता जक्खिद- धारिणि ‍ - सुभूमा । इगवीसवाससहसा तुह वयमाउं तु चुलसीई ॥६॥ पलिओवमचउभागे रहिए वासाण कोडिसहसेणं । कुंथुजिणाउ गयम्मी सम्मेए मुणि- सहस्सेण ||७|| जम्म- तिहीए कम्मक्खएण संसारउवि नीहरिउ । अपुणागमं पयंगम पसीय दंसेसु अप्पाणं ॥८॥ सिरिमल्लिणाह-थुत्तं सिरिमल्लिनाह ! मिहिलं मोहवसं बोहिउं जयंताओ । फग्गुण-सुद्ध - चउत्थीइ इत्थिरुवोऽवइन्नोसि ॥१॥ मग्गसिर सुद्ध-इक्कारसीइ कुंभ- प्पभावईण तुमं । कलसंक नीलवन्नो पणुवीसधणूसिओ जाओ ||२|| कुमरोसि वच्छरसयं कुमार अट्टमेण सहसंबे । जम्मतिहीए तिहिं तिहिं नरसएहिं नीहरिओ ||३|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520540
Book TitleAnusandhan 2007 07 SrNo 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages96
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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