SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अप्रिल-२००७ माला ते भमरा-मुखइ इम कहावई छइः ऊधइं बीटइं जानें-प्रमाणइं जोयण मानइं वृष्टि पडतां, स्यु कहै छै ? तेहनें अधोगति न होयइ । जिम फूलने इंम कहे छइं । फल भविजननइं । जेह अह्मारी परि श्रीप्रभूनां मख आगलि रात्र-दिवस जे प्राणी पडई तेहनइं भवनां बंधन जास्यइं, जिम फूल बंधन विगर थाइं । अने वली हमपरि कहतां अमारी परइं तेहनें पीडा-बाधा पणि न होइ । बंधन-रहीत थाई । इम कुसुम पूजा कहई छई ते अह्मारी परई सुख लहस्यई-पांमस्यई, दिन दिन जसवाद चढतई हुतई । कुसुमपूजा करें श्री कुमारपालनी परें कोडि ७नां फूल १८ तेणें करी पूज्या, तेना महीमाथी १८ देशें राज्य पांम्यूं पूजाथी । एतलई इति श्री बारमी पूजा छूटा फूलना वरसात वरसाववानी पूजा थई ॥१२॥ इति बारमी पूजा छूटा फूलनो मेह वरसाववानी पूजा ॥ हवइं तेरमी पूजा वसंत रागई अष्टमंगलिकनी कही छइं : राग वसंत ॥ रयण हीरा जिस्या सारवर तंदुला वरफल्या ए स्वस्तिक १ दर्पणि २ कुंभ ३ भद्रासन ४ स्युं मिल्या ए । नंदि-आवर्तक ५ चारु श्री वत्सक ६ वर्द्धमानं ७ मत्स्ययुगलं लिखी ८ अष्टमंगल हस्यइं शोभमानं ॥२॥ रतनना हीरा सरीखा सार उज्ज्वल, रत्नमांही राजेवां सारा सोभायमान, चोथा(खा) अखंडवर-प्रधान तंदुल, वर फलई फल्या, तेहना(मां) साथीओ प्रथम १, अरीसउ बीजें २, कलश त्रीजें ३, भद्रासन ते सिंहासन, सिंहासने ब्येठानुं चोथइं ४, ए च्यार मंगलीक साथई मिल्या । नंदावर्तक पांचमे मंगलीक ५, मनोहर श्रीवत्स हीइं जिनेश्वरनें हीयें, चक्रीनइं होय ६, वर्द्धमान ते सरावसंपुट सातमें मंगलीक ७, आठमें मत्सयुगल-बे माछलां ८, एहवां अष्ट मांगलिक आलेखीइं । साव रत्नमय चोखा अखंड पूरीई, घणुं शोभायमान, तेनी ॥२॥ ९८. पडस्यै - ब. । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520539
Book TitleAnusandhan 2007 04 SrNo 39
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy